2 साल में 1 करोड़ रुपये का टर्नओवर
शिल्पी सिन्हा झारखंड के डाल्टनगंज से 2012 में बेंगलुरू पढ़ने के लिए आईं। वहां उन्हें गाय का शुद्ध दूध लेने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यहीं से शिल्पी ने दूध का व्यवसाय करने का फैसला लिया। लेकिन महिला और कंपनी की इकलौती फाउंडर के तौर डेयरी क्षेत्र में काम करना आसान न था। न कन्नड़ आती थी और न तमिल। फिर भी किसानों के पास जाकर गाय के चारे से लेकर उसकी देखभाल के लिए समझाया। शुरुआत में दूध की सप्लाई के लिए कर्मचारी नहीं मिलते थे तो सुबह तीन बजे खेतों में जाना पड़ता था। सुरक्षा के लिए चाकू और मिर्ची स्प्रे लेकर जाती थीं। जैसे ही ग्राहकों की संख्या 500 तक पहुंची, शिल्पी ने 11 हजार रुपए की शुरुआती फंडिंग से 6 जनवरी 2018 को द मिल्क इंडिया कंपनी शुरू कर दी। पहले दो साल में ही टर्नओवर एक करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया।
एक से 9 साल तक के बच्चों पर फोकस
शिल्पी बताती हैं कि कम्पनी 62 रुपये प्रति लीटर में गाय का शुद्ध कच्चा दूध ही ऑफर करती है। उनके मुताबिक यह दूध पीने से बच्चों की हड्डियां मजबूत होती हैं और यह कैल्शियम बढ़ाने में भी मदद करता है। इसलिए सिर्फ एक से नौ साल तक के बच्चों पर उनका फोकस होता है। इसे गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए कम्पनी गायों की दैहिक कोशिकाओं की गणना के लिए मशीन का इस्तेमाल करती है। दैहिक कोशिका जितनी कम होगी, दूध उतना ही स्वस्थ होगा।
शिल्पी का कहना है कि किसी भी ऑर्डर को स्वीकार करने से पहले मां से उनके बच्चे की उम्र के बारे में पूछा जाता है। अगर बच्चा एक साल से कम का है, तो डिलीवरी नहीं दी जाती है। शिल्पा के मुताबिक एक बार उन्होंने देखा कि किसान गायों को चारे की फसल खिलाने की जगह रेस्तरां से मिलने वाला कचरा खिला रहे हैं। ऐसा दूध कभी भी स्वस्थ नहीं होगा। इसलिए किसानों को पूरी प्रक्रिया समझाई कि कैसे यह दूध उन बच्चों को नुकसान पहुंचाएगा, जो इसे पीते हैं। इसके साथ ही उन्हें मनाने के लिए स्वस्थ दूध के बदले में बेहतर कीमत देने का वादा किया। गायों को अब मक्का खिलाया जाता है।