तुझे पाना चाहता हूँ- फिर से

 अरुण भारद्वाज

देखता हूँ या सोचता हूँ, बैठता हूँ या जागता हूँ।

तेरी सूरत सामने आ जाती है,तेरी मूरत सामने आ जाती है।।

आज साल भर बाद तुम्हारी रेसिपी से बने नमक को देखकर……हाँ उस स्पेशल नमक को देखकर,जिसे तुम 2-3 मसाले मिलाकर बनाती थी। तुझे पाना चाहता हूँ – फिर से।

कितने दिनों बाद तुम्हारी गुम हुई पेनड्राइव अचानक सामने आ गई और उसी के साथ तेरी हर याद सामने आ गई। उसकी हल्की मीठी आवाज मेरे कानों मे गूँजी- देखो ‘ARRY’ वाले फ़ोल्डर में सिर्फ़ तुम्हारी और मेरी फोटो है, सम्भाल कर रखना, घर जा रहे हो फ़ोल्डर हिडेन कर देती हूँ, याद आए तो फोटो देख लेना।

चाय की 4 बजे वाली हिचकी भी तो गवाह है कि तुमने मुझे याद किया होगा।

देखो लिव इन को डेढ़ साल हो गए, डिसीजन  तो लेना ही पङेगा ना, उसने चाय में वो हल्का सा स्वादिष्ट नमक डालकर एक टक ताकते हुए कहा। जवाब देने से बचने के लिए मैं उठकर अपनी चाय के कप के साथ बालकनी में तुम्हारी पसन्द वाली आरामकुर्सी पर बैठ गया। वो भी मेरे बाजू मे रखे टेबल पर आकर बैठ गई और उसने मेरी आँखों में आँखें डालकर अपनी भवें सिकोड़ी। अब तो मुझे बोलना ही पङा- पीहू ! तुम फिर से सीरियस हो रही हो, तुम्हारी मेरी जो बात हुई थी “भूलो मत”।  उसके तुरन्त जवाब से मैं झनाझना गया था ।

देखो जो तुमने कहा था वो मुझे याद है और रिश्ते ऐसे कॉन्ट्रैक्ट पर नही चलते। किसी दिन छोड़कर चली गई न तो कभी वापस नहीं आऊँगी।

लेकिन मै तुम्हें वापस पाना चाहता हूँ – फिर से।

तेरे बिना अब कुछ अच्छा नही, तू नहीं तो मैं कुछ भी नही।

मेरी सांसें तेरा पीछा करती है, दिल की हर धङकन में तू धङकती है।।

तू मेरे पास नहीं है तो लगता है पास कहीं तू रहती है।

आज फिर तुम्हें पाने की ख्वाहिश दिल में जाग रही है।

न चाहते हुए भी ‘ARRY’ वाला फ़ोल्डर भी खुल ही गया और तेरी याद की एक और तह खुल गई। जो तुमने अपनी जुल्फ़ों से आधा मुँह छिपाकर ठुड्डी वाले तिल का फोटो भेजा था न वही मेरी आँखो के सामने था।

“अरे यार पीहू तुम इंटर्नशिप  के टाइम कितनी मोटी थी।”

अरे….देखो मैं मोटी कभी नहीं थी। उसने चुलबुले अन्दाज में गुस्सा दिखाकर फिर कहा और तुम्हारे कहने से मै मोटी नही हो जाऊँगी। उस टाइम थोड़ी हेल्दी थी बस।

अब जब खोजने चला तो हर जगह तेरी याद थी,रसोई में,कमरे में, बेड पर, तकिये मे……… हाँ ये वही तकिया था जिसे तुम हटाकर मेरा हाथ अपने सिर के नीचे रख लेती थी और कहती थी मुझे ऐसे ही नींद आएगी। वैसे तुम्हें तो बिना मुझसे चिपके नींद नही आती थी फिर तुम मुझसे दूर कैसे चली गयी।

यार पीहू…अंडा नही खाया जाता मुझसे, मै अपने ट्रेनर को बोल दूँगा… बिना अंडे वाली डाइट बता दो। तुम्हारे उसी जादुई नमक ने मेरी डाईट में अंडा भी मिला दिया।

मुझे पता है तुम वो स्पेशल नमक बनाने फिर से नहीं आओगी,

लेकिन मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ – फिर से।

शायद तुम अपनी जिन्दगी में खुश हो, और थोड़े दिनों मे तुम्हारी किसी शुक्ला,तिवारी,शर्मा या झा से शादी हो जाएगी लेकिन क्या तुम्हें मेरी याद नही सताएगी। कितना इजी  था ना “दिल पर पत्थर रखकर” गाना बजाया और ब्रेकअप कर लिया, 2 दिन का डिप्रेशन  और सबकुछ खत्म।

लेकिन यार पीहू तेरी गोद मे सिर रखकर सोना चाहता हूँ- फिर से।

तुझे पाना चाहता हूँ- फिर से।

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2 thoughts on “तुझे पाना चाहता हूँ- फिर से

  1. Kenisha Bhardwaj says:

    Indeed , Astounding, Amazing, Wonderful or I can say in jst one word “Behatreen” … Arun Sir

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