नयी दिल्ली । पिछले तीन साल से 2,000 रुपये का एक भी नोट छापा ही नहीं गया है। ऐसे में यह नोट सर्कुलेशन में नहीं के बराबार है। न्यूज एजेंसी आईएएनएस की तरफ से दायर एक सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए जवाब में इसका खुलासा हो सका है। सरकार द्वारा 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाकर नोटबंदी की घोषणा की गई थी और फिर नए नोट आए थे जिसमें 2000 रुपये का नोट भी शामिल था ।
तीन साल में कितने छपे 2000 रुपये के नोट
आरटीआई के मुताबिक, साल 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के दौरान 2,000 रुपये का कोई नया नोट नहीं छापा गया । आरबीआई नोट मुद्रण (पी) लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2016-17 में 2,000 रुपये के 3,5429.91 करोड़ नोट छापे थे । इसके बाद 2017-18 में काफी कम 1115.07 करोड़ नोट छापे गए और 2018-19 में इसे और कम कर मात्र 466.90 करोड़ नोट छापे गए।
नकली नोटों की संख्या में तेज इजाफा
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में जब्त किए गए 2,000 रुपये के नकली नोटों की संख्या 2016 और 2020 के बीच 2,272 से बढ़कर 2,44,834 हो गई है । आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में देश में पकड़े गए नकली 2,000 रुपये के नोटों की कुल संख्या 2,272 थी । यह साल 2017 में बढ़कर 74,898 हो गयी । इसके बाद साल 2018 में यह घटकर 54,776 रह गयी । साल 2019 में यह आंकड़ा 90,566 और साल 2020 में 2,44,834 नोट रहा ।
90 प्रतिशत से ज्यादा जाली नोट निम्न गुणवत्ता के
आरबीआई ने 2015 में एक नए संख्या पैटर्न के साथ महात्मा गांधी सीरीज – 2005 में सभी मूल्यवर्ग में बैंक नोट जारी किए थे । विजिबल सिक्योरिटी फीचर के साथ आम जनता नकली नोट को असली से आसानी से अलग कर सकती है । बैंकिंग सिस्टम में पाए गए 90 प्रतिशत से ज्यादा जाली नोट निम्न गुणवत्ता के थे और किसी भी प्रमुख सुरक्षा विशेषता से समझौता नहीं किया गया था । इन नोटों की सुरक्षा विशेषताओं की डीटेल आम जनता के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर शो किया जाता है।
आरटीआई में कहा गया है कि आरबीआई जाली नोटों से बचाव के उपायों पर बैंकों को अलग-अलग निर्देश जारी करता है। केंद्रीय बैंक नियमित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी का प्रबंधन करने वाले बैंकों और दूसरे संगठनों के कर्मचारियों/अधिकारियों के लिए जाली नोटों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है।