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रेखा श्रीवास्तव
चाँद तुम कितने शीतल हो
तुम्हारी शीतलता केवल अंधेरे में ही क्यों
तुम्हारी सुंदरता केवल अंधेरे में ही क्यों
क्यों नहीं तुम उजाले में पास आते हो
अपनी शीतलता का आभास दिलाते हो
भरी दोपहरी में काश तुम आते
दिन भर की जलन भगा जाते
शाम को तुम आते पूरे दिन की थकान मिटा देते
पर तुम रात में ही क्यों आते हो?
चाँद तुम कितने शीतल हो
तुम्हारी शीतलता केवल रात में ही क्यों
तुम्हारी सुंदरता केवल अंधेरे में ही क्यों
क्यों तुम बच्चों के मामा हो
दूर रहते हो, इसलिए
या ज्यादा प्यारे हो इसलिए
बच्चे तुम्हारी कहानी सुनकर ही क्यों सोते हैं
बच्चे तुम्हें देखने के बाद ही क्यों सोते हैं
चाँद तुम कितने शीतल हो
चाँद तुम कितने प्यारे हो
करवा चौथ हो या तीज
औरतें तुम्हें देखकर ही क्यों
अन्न-जल ग्रहण करती हैं
अगर तुम जल्दी आते होते
तो उन्हें ज्यादा देर तक भूखे प्यासे रहना नहीं होता
चाँद तुम कितने शीतल हो
तुम्हारी सुंदरता देखकर ही प्यार करने वाले प्यार करते हैं
परिवार वाले एक साथ तुम्हारे ही गोद में रहते हैं
चाँद तुम अंधेरे में रहकर भी
दूसरों के घर रोशनी जलवा कर जग-मग कर देते हों
चाँद तुम अंधेरे में गुमनाम रहकर भी
बच्चों को परिजन, बाहर वालों को घर, घर को सकून,
प्यार, एकजुटता का पाठ सिखाते हो
चाँद तुम कितने शीतल हो
चाँद तुम कितने सुंदर हो
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार तथा कवियत्री हैं)