मुम्बई । महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार खिताब अपने नाम किया। हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली टीम इंडिया ने लगातार तीन मैच हारने के बाद टूर्नामेंट में शानदार वापसी की और इतिहास रचते हुए महिला वनडे क्रिकेट की नई विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। इस जीत का एक ‘साइलेंट हीरो’ भी है, जो पर्दे के पीछे से लगातार भारतीय महिला टीम को सपोर्ट कर रहा था और उन्हें इस काबिल बनाया कि वह इस बड़े टूर्नामेंट को जीत सकें। यह और कोई नहीं बल्कि टीम के हेड कोच अमोल मजूमदार हैं। मजूमदार भारत के उन चुनिंदा क्रिकेटरों में से एक हैं, जो बेहद टेलेंटेड होने के बावजूद भारत के लिए अभी नहीं खेल पाये। मजूमदार कहते हैं कि वे ‘गलत दौर’ में पैदा हुए थे, जब भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज मौजूद थे। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 11 हज़ार से अधिक रन बनाने के बावजूद उन्हें कभी भारतीय सीनियर टीम की जर्सी नहीं मिली। छोटे कद के दाएं हाथ के बल्लेबाज मजूमदार अपनी ताकत की बजाय बेहतरीन टाइमिंग के लिए मशहूर थे। अमोल की प्रतिभा बचपन से ही झलकती थी। शारदाश्रम इंग्लिश स्कूल की टीम में खेलते हुए, जब सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रनों की विश्व ऐतिहासिक साझेदारी की थी, तब अगले बल्लेबाज के रूप में पैड पहनकर पवेलियन में मजूमदार ही बैठे थे। उस दिन उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से सभी का दिल जीत लिया। 1993-94 सीजन में रणजी ट्रॉफी डेब्यू किया और हरियाणा के खिलाफ प्री-क्वार्टर फाइनल में नाबाद 260 रन ठोके। यह उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी साबित हुई। इसके बाद वे ‘बॉम्बे स्कूल ऑफ बैट्समैनशिप’ की अगली बड़ी उम्मीद बन गए। शुरुआती दिनों में उन्हें ‘भविष्य का तेंदुलकर’ तक कहा जाने लगा। 1994 में भारत अंडर-19 टीम के उप-कप्तान बने और सौरव गांगुली आर राहुल द्रविड़ के साथ इंडिया ए में शानदार प्रदर्शन किया। घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बनाने के बावजूद सीनियर टीम में जगह नहीं मिली। 2006-07 सीजन में मुंबई टीम की कप्तानी मिली। खराब शुरुआत के बावजूद टीम को चैंपियन बनाया और सर्वाधिक रनों का अशोक मांकड़ का रिकॉर्ड तोड़ा। अगस्त 2009 में बुच्ची बाबू टूर्नामेंट के लिए चयन न होने पर मुंबई छोड़ दी और असम के लिए खेलने लगे। इसके बाद पांच साल तक असम और आंध्र प्रदेश के लिए प्रोफेशनल क्रिकेटर रहे। 2014 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट से संन्यास लिया। संन्यास के बाद कोचिंग में कदम रखा। भारत अंडर-19 और अंडर-23 टीमों के बल्लेबाजी कोच, नीदरलैंड्स क्रिकेट टीम के सलाहकार, आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के बल्लेबाजी कोच और दक्षिण अफ्रीका राष्ट्रीय टीम (भारत दौरे पर) को कोचिंग दी। मुंबई टीम के मुख्य कोच भी बने। 2023 में भारतीय महिला राष्ट्रीय टीम के हेड कोच नियुक्त हुए। उनके नेतृत्व में फोकस रहा: सख्त फिटनेस रूटीन, माइंडसेट ट्रेनिंग, आक्रामक-आधुनिक रणनीति और घरेलू टैलेंट को निखारना। यही फॉर्मूला विश्व कप जीत की नींव बना। अमोल मजुमदार ने 171 फर्स्ट क्लास मैचों की 260 पारियों में 48.13 की बेहतरीन औसत से 11167 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 60 अर्धशतक और 30 शतक ठोके। वहीं, लिस्ट ए में मजूमदार ने 113 मैचों की 106 पारियों में 38.20 की औसत से 3286 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने तीन शतक और 26 अर्धशतक लगाए हैं। टी20 क्रिकेट उन्होंने ज्यादा नहीं खेला। 14 टी20 मैचों की 13 पारियों में मजूमदार ने 19.33 की औसत से 174 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने एक अर्धशतक लगाया।





