नज़रिया का यह अंक कोलकाता को समर्पित है। इसके सम्पादक हैं दिनेश चारण और कार्यकारी सम्पादक हैं दुष्यंत। 9 हिस्सों में विभाजित इस अंक में कला और साहित्य के सभी अंगों और क्षेत्रों पर विचार-विमर्श है। कलात्मकता आपको पूरी पत्रिका में दिखायी पड़ेगी। कोलकाता को परिभाषित करने वाली तस्वीरें भी इस अंक की खूबसूरती और बढ़ाती हैं। परिचर्चा खंड में कोलकाता के साहित्यिक परिदृश्य पर यहीं के लोगों की समसामायिक टिप्पणियाँ हैं। कोलकाता साहित्य जगत के और कोलकाता से जुड़े मगर फिलहार बाहर बसे लोगों की टिप्पणियाँ कोलकाता के प्रति समझ को मजबूत करेंगी। उमा झुनझुनवाला, अरुण माहेश्वरी, डॉ. एस आनन्द, सौरभ घोष के साथ नवारुण भट्टाचार्य की कहानी और कविता, मन्द्राकान्ता सेन की तीन कहानियाँ हैं|अनुवाद इस अंक की खूबसूरती है जहाँ आप रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कविताओं के साथ जीवनानंद दास, नारायण मुखोपाध्याय, सुनील गंगोपाध्याय, शक्ति चट्टोपाध्याय, विष्णु दे, रवीन्द्र गुहा, जॉय गोस्वामी, देबी रॉय, सुकांत भट्टाचार्य,शंख घोष, सुबोध सर्कार, ईशिता भादुरी, शुभ्रो बंदोपाध्याय, ट्रिना निलीना मुखर्जी, नवनीता सेन, सुदीप रंजन सरकार जैसे बंगला के श्रेष्ठ कवियों की चुनिन्दा कविताएँ पढ़ सकेंगे। हिंदी के तमाम नए और पुराने कवि हैं। #साथ ही एक उपन्यासिका भी है – लीला मजुमदार के पीले पक्षी का पंख। कुसुम खेमानी की रश्मिरथी माँ और अलका सरावगी की एक सच्ची-झूठी गाथा का भी आनन्द आप ले सकेंगे इस पत्रिका में|नज़रिया का कोलकाता यह अंक भी नॉटनल पर भी उपलब्ध है। प्रिंट के साथ साथ ई- संस्करण वाला 350 पेज का यह वृहद अंक 80 रूपये में उपलब्ध है। अपने मोबाइल/ कम्प्यूटर पर। क्लिक कीजिए, प्रिव्यू देखिए। अच्छा लगेगा।