नयी दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के नए वेरिएंट ऑफ कंसर्न वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई का नाम ग्रीक अल्फाबेट्स का इस्तेमाल करते हुए रखने की घोषणा की है। इसके तहत सबसे पहले जो कोरोना वेरिएंट भारत में मिला, उसे डेल्टा कहा जाएगा। जबकि, इससे पहले मिले वर्जन को कप्पा कहा जाएगा।
डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 टैक्निकल हेड डॉ. मारिया वेन करखोवे ने कहा कि इन लेवल से मौजूदा वैज्ञानिक नामों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनसे अहम वैज्ञानिक जानकारियां मिलती हैं और रिसर्च में इनका इस्तेमाल जारी रहेगा। किसी भी देश को कोरोना के वेरिएंट खोजने या उसकी जानकारी देने की सजा नहीं मिलनी चाहिए।
वायरस को इंडियन वैरिएंट कहने पर सरकार ने जताई थी आपत्ति
कोरोना के नए स्ट्रेन को भारतीय बताने पर सरकार ने आपत्ति जताई थी। सरकार की तरफ से कहा गया था कि B.1.617 वैरिएंट को दुनिया के लिए चिंताजनक बताने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) के बयान को कई मीडिया रिपोर्ट्स में कवर किया गया। इनमें से कुछ रिपोर्ट्स में इस वैरिएंट को भारतीय कहा गया, लेकिन ये रिपोर्ट्स बेबुनियाद हैं। सरकार का दावा है कि WHO ने अपने 32 पेज के डॉक्यूमेंट्स में B.1.617 वैरिएंट के साथ कहीं भी इंडियन नहीं जोड़ा है।
डब्ल्यूएचओ के साउथ-ईस्ट एशिया ऑफिस की तरफ से कहा गया है कि वह वायरस या वैरिएंट्स को किसी देश के नाम से नहीं जोड़ता है। बल्कि उनके साइंटिफिक नाम से ही पहचानता है और सभी को ऐसा ही करना चाहिए। इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने कोरोना की दूसरी लहर में भारत में फैल रहे B-1617 स्ट्रेन को वैश्विक स्तर पर चिंताजनक (वैरिएंट ऑफ कंसर्न) घोषित किया था। उसका कहना था कि यह वैरिएंट ज्यादा संक्रामक लग रहा है और यह आसानी से फैल सकता है।
कोरोना पर डब्ल्यूएचओ की प्रमुख मारिया वैन केरखोव के मुताबिक एक छोटे सैंपल साइज पर की गई लैब स्टडी में सामने आया है कि इस वैरिएंट पर एंटीबॉडीज का कम असर हो रहा है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इस वैरिएंट में वैक्सीन के प्रति ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता है।
B.1.617 वैरिएंट, जिसे डबल म्यूटेंट स्ट्रेन भी कहा जाता है, महाराष्ट्र और दिल्ली में बड़े पैमाने पर मिला है। इसकी वजह से यहां आई महामारी की दूसरी लहर ने बुरी तरह प्रभावित किया है। देश के सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र के कई शहरों में जीनोम सिक्वेसिंग किए गए आधे से ज्यादा सैंपल में B.1.617 वैरिएंट मिला है।