पिटबुल-जर्मन शेफर्ड हैं शामिल
नयी दिल्ली । । पालतू कुत्तों के हमलों से लोगों की मौत की बढ़ती घटनाओं के बीच केंद्र सरकार ने राज्यों को पिटबुल टेरियर, अमेरिकन बुलडॉग, रॉटविलर और मॉस्टिफ्स सहित खूंखार कुत्तों की 23 नस्लों की बिक्री और उनके प्रजनन पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। पशुपालन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति ने ऐसी नस्ल के कुत्तों के आयात पर रोक लगाने की सिफारिश भी की है। पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया की अपील और दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक रिट याचिका के बाद केंद्र ने यह कदम उठाया है। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के संयुक्त सचिव ओपी चौधरी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को एक पत्र भेजकर स्थानीय निकायों, पशुपालन विभाग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि खतरनाक नस्लों के रूप में चिह्नित कुत्तों के प्रजनन और उन्हें बेचने के लिए आगे कोई लाइसेंस जारी न किया जाए या अनुमति न दी जाए।
प्रजनन रोकने को कहा । इसके साथ ही कहा है कि इन नस्लों के कुत्तों को जिन लोगों ने पाल भी रखा है, उनका बंध्याकरण किया जाए, ताकि वे आगे प्रजनन न कर सकें। केंद्र ने डॉग ब्रीडिंग एंड मार्केटिंग रूल्स 2017 और पेट शाप रूल्स 2018 को सख्ती से लागू करने के लिए कहा है। इन देशों में प्रतिबंधित हैं यह कुत्ते – पेटा इंडिया के शौर्य अग्रवाल ने कहा कि मनुष्यों की सुरक्षा के लिए केंद्र ने यह सराहनीय कदम उठाया है। यहां यह भी बता दें कि पिटबुल अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, डेनमार्क, स्पेन, कनाडा, इटली और फ्रांस समेत 41 देशों में प्रतिबंधित है। इसके अलावा भी कई देशों में इस नस्ल के कुत्ते को रिहायशी इलाकों में रखना वर्जित किया गया है। पिटबुल जब एक बार किसी को अपने शिकंजे में ले लेता है तो उसके जबड़े एक तरह से लॉक हो जाते हैं और फिर उससे छुड़ाना बेहद मुश्किल होता है।
खूंखार नस्लों में ये कुत्ते शामिल – पिटबुल टेरियर्स, टोसा इनु, अमेरिकन स्टैफोर्डशायर टेरियर, फिला ब्रासीलेरियो, डोगो अर्जेंटीनो, अमेरिकन बुलडॉग, बोअरबोएल, कांगल, टार्नजैक, बैंडोग, सरप्लानिनैक, जापानी टोसा, अकिता, मॉस्टिफ्स, राटविलर, रोडेशियन रिजबैक, कैनारियो, अकबाश और मास्को गार्डडॉग, वोल्फ डॉग, जर्मन शेफर्ड आदि। अमेरिका में कुत्तों के काटने से हुई मौतों में पिटबुल का योगदान 66 प्रतिशत अमेरिका में 2005 से 2019 के 15 वर्षों के दौरान कुत्तों के काटने से होने वाली मौतों में पिटबुल का योगदान 66 प्रतिशत (346) रहा। संयुक्त रूप से पिटबुल और रॉटविलर का कुत्तों के काटने से हुई कुल मौतों में हिस्सा 76 प्रतिशत का रहा।
हाल में हुई घटनाएं – करीब एक माह पहले दिल्ली में एक पिटबुल द्वारा काटे जाने के बाद एक बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई। उसका पैर तीन जगह से टूट गया। उसे 17 दिन अस्पताल में रहना पड़ा। इससे कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने राजधानी में अपने पड़ोसी पर हमला करने के लिए अपने पिटबुल को उकसाया था।
एक सप्ताह पहले गाजियाबाद में एक पिटबुल ने 10 वर्षीय बच्चे को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था।
दिसंबर में भी एक 70 वर्षीय महिला को पिटबुल ने गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
एक अन्य मामले में लखनऊ में एक जिम मालिक के पिटबुल ने उसकी मां की जान ले ली थी।