कोलकाता। केंद्र की पिछड़ा वर्ग राष्ट्रीय आयोग (एनसीबीसी) द्वारा पश्चिम बंगाल की मुस्लिम समुदाय की 35 जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची से हटाने के फैसले पर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। भाजपा ने बुधवार को कहा कि यह कदम साबित करता है कि राज्य में ममता बनर्जी सरकार ने वर्षों तक तुष्टिकरण की राजनीति की है, जिससे वास्तविक रूप से पिछड़े हिन्दू वर्ग अपने उचित अधिकारों से वंचित रहे। यह जानकारी समाज कल्याण एवं अधिकारिता मंत्रालय के राज्य मंत्री बी. एल. वर्मा ने संसद में एक असितारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है। यह प्रश्न नदिया जिले के रानाघाट से भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने पूछा था। मंत्री के उत्तर में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल राज्य के लिए केंद्रीय ओबीसी सूची से 35 जातियों को बाहर करने की सलाह पिछड़ा वर्ग राष्ट्रीय आयोग ने 03.01.2025 को दी थी। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के केन्द्रीय पर्यवेक्षक अमित मालवीय ने कहा कि धार्मिक समुदायों को ओबीसी समूहों में शामिल कर वोट बैंक मजबूत करने की राजनीति वर्षों से चलती रही है, जिसका खामियाज़ा वास्तविक रूप से पिछड़े हिन्दू समुदायों को भुगतना पड़ा। मालवीय ने कहा कि मोदी सरकार तुष्टिकरण आधारित विकृतियों को सुधार रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि सामाजिक न्याय केवल वास्तविक पिछड़ेपन के आधार पर मिले, न कि वोट बैंक की राजनीति के आधार पर। ममता बनर्जी की राजनीति अब पुरानी पड़ चुकी है। इधर, पश्चिम बंगाल ओबीसी सूची के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी थी और साफ कहा था कि जब तक मामला शीर्ष अदालत में लंबित है, तब तक कलकत्ता हाई कोर्ट इस पर कोई और कार्यवाही नहीं करेगा। इस वर्ष 17 जून को हाई कोर्ट की खंड पीठ ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार को नई ओबीसी सूची की अंतिम अधिसूचना 31 जुलाई तक प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया था।





