Wednesday, March 12, 2025
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कुछ बातें

-पुष्पा मल्ल

कुछ बातें

रह जाए

और कुछ कह दी जाए

शायद जरूरी है

कुछ रिश्तों के लिए!

 

सुना तो था पर कभी लगा नहीं

कि अपनी भी बारी आएगी

कई बार लगता है

कि

बड़ी देर लगा दी सीखने में

अपनों से छुपाने में

कुछ बातें!

 

सीख गई होती तो जान जाती

उस फर्क को

कि

कुछ बातें न कहने में

और कुछ बातों का अनसुना रह जाने में

बहुत फर्क है

जैसे कुछ रह जाए और कुछ बिखर जाए।

पता नहीं

कब और कैसे आई

यह औपचारिकता

घर के बाहर जो चीजें थी

वह कब कैसे अन्दर आई

पता नहीं।

शायद रिश्तों का बदलना इसे ही कहते हैं

कि कुछ बातें

कह दी जाए

और

कुछ रह जाए!

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

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