लखनऊ । लखनऊ के पास स्थित मलिहाबाद में रहने वाले कलीमुल्लाह आम का ऐसा पेड़ भी तैयार कर चुके हैं जिसमें 300 तरह की प्रजाति के आम उगते हैं। मलिहाबाद के आम देश ही नहीं, विदेशों में भी पसंद किए जाते हैं। जब भी यहां के आमों का जिक्र होता है तो कलीमुल्लाह की चर्चा जरूर होती है। कलीम लगभग हर साल आम की नई प्रजाति विकसित करते हैं और नाम देते हैं। कोरोना काल में उन्होंने आम की नई प्रजाति विकसित की और नाम दिया ‘डॉक्टर आम’. जानिए कलीम कैसे बने मैंगो मैन।
कलीमुल्लाह अपने प्रयोग से आम के एक ही पेड़ पर अलग-अलग प्रजाति को विकसित करते चले आ रहे हैं। जैसे- आम की एक डाल पर केसर आम है तो दूसरी पर दशहरी। तीसरी पर तोतापरी तो चौथी पर अल्फांसो है. पद्मश्री विजेता कलीमुल्लाह 15 साल के थे, जब उन्होंने दोस्त के बगीचे में क्रॉस ब्रीड के गुलाब को देखा था। एक पौधे में गुलाब के अलग-अलग फूलों को देखकर वो प्रेरित हुए. यहीं से उन्होंने एक पेड़ में अलग-अलग प्रजाति के आम को उगाने के लिए प्रयोग शुरू किया।
कई सालों की कोशिशों के बाद उन्होंने कलम विधि से आम की खेती शुरू की। एक प्रजाति के आम की डाल को दूसरी प्रजाति के आम की डाल से जोड़ा। 1987 में अपने प्रयोग के लिए उन्होंने आम के 100 साल पुराने पेड़ को चुना। यहां से उनकी सफलता का जो रास्ता खुला वो आज भी जारी है।
कलीमुल्लाह के आमों की बगिया की खासियत है कि यहां मौजूद आमों के पेड़ की सभी पत्तियां एक-दूसरे से अलग हैं। इनके हरे रंग से लेकर उनकी चमक तक में अंतर है। 80 साल के कलीमुल्लाह ने आमों की कई नई वैरायटी तैयार की है। इनके नाम देश की नामचीन शख्सियतों के नाम पर रखे हैं। इनमें योगी आम, सोनिया आम, ऐश्वर्य आम। उन्होंने आम की एक वैरायटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित की है और उसका नाम है- नमो.
अपनी उपलब्धियों पर कलीमुल्लाह कहते हैं, मैं लोगों को यह बताना चाहता है कि जैसे दो इंसान मिलकर एक इंसान का निर्माण करते हैं, ऐसा ही आम के साथ भी है। दो तरह के आम की किस्म मिलकर आम की नई किस्म को जन्म दे सकती है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आम की 700 किस्म पाई जाती हैं।