एक नहीं हैं भगवान बुद्ध और गौतम बुद्ध

वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इस कारण इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं. साल 2024 में 23 मई को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। भगवान बुद्ध को श्रीहरिविष्णु का नौंवा अवतार माना जाता है. वहीं, कुछ लोग बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती व गौतम बुद्ध व भगवान बुद्ध को एक ही मान लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं है।  भगवान बुद्ध और गौतम बुद्ध पूरी तरह से अलग-अलग हैं। भगवान विष्णु के 9वें अवतार भगवान बुद्ध का जन्म आज से 5000 साल पहले हुआ था। जब दैत्यों का आतंक काफी अधिक बढ़ गया था। दैत्य यज्ञ करके खुद को काफी शक्तिशाली बनना चाहते थे। इससे देवताओं को भी डर लगने लगा कि दैत्य अगर बलशाली हो जाएंगे तो पूरे संसार में अधर्म बढ़ जाएगा। इसको रोकने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु की शरण ली।

भगवान विष्णु ने लिया अवतार

दैत्यों से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने भगवान बुद्ध का रूप धारण किया थ। उनके हाथ में मर्जनी थी और वे रास्ते को साफ करते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। जब वे दैत्यों के पास पहुंचे तो भगवान बुद्ध ने उनसे कहा कि ये यज्ञ करना उचित नहीं है, इससे जीवों को नुकसान होता है। जीवहिंसा रोकने के लिए के लिए मैं स्वयं रास्ते को साफ करते हुए चल रहा हूं।

दैत्यों पर पड़ा भगवान की बात का असर

भगवान बुद्ध की बात का दैत्यों पर असर पड़ा। उन्होंने यज्ञ करना बंद कर दिया। कुछ दिनों बाद असुरों की शक्ति कम हुई तो देवताओं का स्वर्ग पर फिर से आधिपत्य हो गया।  जीव हिंसा को रोकने के लिए ही भगवान विष्णु ने भगवान बुद्ध का अवतार लिया था।

गौतम बुद्ध से जुड़ा है संयोग

ललित विस्तार ग्रंथ के 21वें अध्याय के 178 पृषठ पर यह साफ तरीके से बताया गया है कि यह मात्र एक संयोग था कि जहां पर गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था, वहां पर भगवान बुद्ध ने तपस्या की लीला रचाई थी। हालांकि बौद्ध धर्म को मानने भी गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार नहीं मानते हैं. गौतम बुद्ध का जन्म 477 बीसी में हुआ था। इनके इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। इनकी माता मायादेवी और पिता शुद्धोदन थे. वहीं, भगवान बुद्ध की माता का नाम अंजना और पिता का नाम हेमसदन था।

भगवान बुद्ध और गौतम बुद्ध दोनों का गोत्र गौतम था।इस कारण भी लोगों को दोनों एक ही लगते हैं. वहीं भगवान बुद्ध को लंबकर्ण भी कहा जाता है। इसका अर्थ बड़े-बड़े कान वाला होता है. इसके बाद से ही भगवान बुद्ध और लंबी-लंबी प्रतिमाएं बनाई जाती थीं।

(साभार – इंडिया डेली)

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।