कहते हैं कि मन से चाहो तो ईश्वर भी मिल जाते हैं और जुलाई ऐसा महीना है कि भगवान भक्तों से मिलने रथयात्रा पर हर साल आते हैं। इस्कॉन की रथयात्रा और पुरी की जगन्नाथ यात्रा में जिस तरह तमाम कष्ट सहते हुए लोग उमड़ते हैं, वह अद्भुत है। शायद यही वह ताकत है जो तमाम मुश्किलों के बावजूद एक आम भारतीय को आगे बढ़ने की ताकत देती है। इसे ही श्रद्धा कहते हैं, यही विश्वास है जो आगे बढ़ने की शक्ति देता है। यही शक्ति जब साथ आ जाए तो देश और समाज दोनों आगे बढ़ते हैं और इसी को एकता कहा जाता है।
भारतीय राजनीति इस समय विदेश नीति को लेकर चर्चा में है तो इसरो ने हमें गौरव की अनुभूति करने के लिए माकूल वजहें दी हैं। जून में काफी कुछ बदला इसलिए देखा जाए तो यह महीना नयी शुरुआत का समय है। इस माह से भारत के सांस्कृतिक उल्लास के क्षण आरम्भ होते हैं। बंगाल में माँ के आगमन की सूचना खूँटी पूजा से मिलती है और हर व्यक्ति पर एक ही खुमार चढ़ता है, पूजा का खुमार, माँ की आराधना का उल्लास मगर हकीकत पर नजर डालिए तो स्थिति कुछ और ही नजर आती है। बहरहाल यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन का बाहर निकलना और उस फैसले को पलटने की जद्दोजहद, यह ऐसी परिस्थिति है जिसका प्रभाव सारी दुनिया पर पड़ने जा रहा है।
साहित्य की बात करें तो जुलाई मुंशी प्रेमचंद को याद करने का समय है जिनकी कई बातें आज की परिस्थितियों पर खरी उतरती हैं और उनका तमाम साहित्य पूरे समाज में बिखरा नजर आता है। यह आगे बढ़ने का समय है। यह समय वैश्विक हलचलों से भरा समय है, उम्मीद करें कि दुनिया बची रहे और बेहतर बने।