चैत्र नवरात्र की शुरुआत आध्यात्म का चरमोत्कर्ष होता है। देवी आराधना के इन दिनों में भक्त अपनी कामनापूर्ति के लिए कई जतन करते हैं, लेकिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का यह दिन कई ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाओं का भी गवाह है। इन घटनाओं से कहीं नई शुरुआत हुई तो कभी युग परिवर्तनकारी घटना से इतिहास की धारा बदल गई। नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही खास जानकारियों पर –
1 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 117 साल पहले सूर्योदय से ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी।
2 रावण वध के बाद अयोध्या लौटने पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ था।
3 शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात नवरात्र का पहला दिन यही है।
4 सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।विक्रम संवत को राजा विक्रमादित्य ने शकों को पराजित करने के बाद 57 ईस्वी पूर्व प्रारंभ किया था।
5 यह सिखों के द्वितीय गुरु श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।
6 स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं ‘कृणवंतो विश्वमआर्यम‘ का संदेश दिया।
7 सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल का प्रगटोत्सव इसी दिन हुआ था।
8 ज्येष्ठ पांडुपुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक आज के ही दिन हुआ था।
9 विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना था।
10 वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंध से भरी होती है।
11 शुभ मुहूर्त होने की वजह से किसी भी कार्य का आरंभ इस दिन किया जा सकता है।
12 आंध्र प्रदेश में इसको ‘उगादी‘ यानी युग का प्रारंभ के नाम से भव्यता के साथ मनाया जाता है।
13 महाराष्ट्र में इसको ‘गुड़ी पड़वा‘ के नाम से मनाया जाता है।
14 सिंध प्रांत में इस पर्व को ‘चेती चांद‘ यानी चैत्र का चांद के नाम से मनाते हैं इसलिए सिंध से विभाजन के बाद भारत आए लोग भी भारत में इस पर्व को इसी नाम से मनाते हैं।
15 जम्मू-कश्मीर में इसको ‘नवरेह‘ के नाम से मनाते हैं।