कोलकाता । इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी (आईसीएसआई) की तरफ से कोलकाता में कंपनी सचिवों के लिए 50वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर से 1100 से अधिक प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए, जबकि 4,500 सदस्य वर्चुअली इस सम्मेलन का हिस्सा बने। इस वर्ष के सम्मेलन का थीम ‘कंपनी सेक्रेटरी: ए विश्वगुरु इन गवर्नेंस एंड सस्टेनेबिलिटी’ रखा गया था। इसमें वातावरण की बदलती गतिशीलता के जवाब में कंपनी सचिवों (सीएस) की नई भूमिका और जिम्मेदारी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी।
सम्मेलन के दूसरे सत्र का विषय था “सीएस: फोस्टरिंग गवर्नेंस एंड कॉरपोरेट एक्सीलेंस इन इंडिया इंक” आईसीएसआई की ओर से आयोजित 50वें राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन पैनलिस्ट में सीएस (डॉ.) ममता बिनानी (पूर्व अध्यक्ष आईसीएसआई), सीएस बी मुरली (जनरल काउंसल और कंपनी सचिव नेस्ले इंडिया लिमिटेड), सीएस एम ई वी सेल्वम (पूर्व कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी ओएनजीसी लिमिटेड) की मौजूदगी में सत्र का संचालन किया गया। इस मौके पर सीएस विनीत के चौधरी (परिषद सदस्य, आईसीएसआई) और सीएस देवेंद्र देशपांडे (अध्यक्ष,आईसीएसआई) ने इस सत्र में गौरवमयी उपस्थिति दर्ज करायी।
इस अवसर पर सीएस डॉक्टर ममता बिनानी (पूर्व अध्यक्ष आईसीएसआई) ने कहा, शासन और स्थिरता किसी भी कॉर्पोरेट कल्चर के वास्तविक मूल्य को अनलॉक करने और इसका उजागर करने की मूल कुंजी होती है। यह समय दुनिया के बदलते कल्चर को देखने का है। द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के 50वें राष्ट्रीय अधिवेशन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के लिए मेरी ओर से संस्था के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई और इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम के लिए कलकत्ता शहर को चुनने के लिए दिल से सभी का आभार प्रकट करती हूं।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुझे जीएसटी पर एक पुस्तक और वित्तीय संपत्तियों और प्रतिभूतियों के मूल्यांकन पर एक सर्टिफिकेट कोर्स का शुभारंभ करते हुए सम्मानित किया गया। इस सम्मेलन में एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। आईसीएसआई अपने सदस्यों से व्यावहारिक इनपुट के साथ-साथ अनुसंधान का एक पावर हाउस होने के कारण सफलतापूर्वक ऐसी सामग्री लॉन्च कर रहा है, जो इस संस्थान से जुड़े सभी सदस्यों के पढ़ने लायक है।