नयी दिल्ली : क्या आप अपने मोबाइल पर आने वाले अनचाहे एसएमएस से परेशान हैं? अगर ऐसा है तो जल्दी ही आप इनसे छुटकारा पा सकते हैं। आप यह तय कर सकते हैं कि कौन आपको मेसेज भेजेगा और कौन नहीं। आप कंपनी या ब्रांड को यह भी सकेंगे कि आप किस दिन और किस समय प्रमोशनल मेसेज रिसीव करने की स्थिति में होंगे। इसमें समस्या यह है कि आपको 400,000 से अधिक कंपनियों को खुद ही यह बताना होगा कि आप उनके एसएमएस रिसीव करने के इच्छुक हैं या नहीं। ये वो कंपनियां हैं जिनकी नजर संभावित ग्राहक के तौर पर आप पर है। टेलिकॉम ऑपरेटर फ्रॉड और अनचाहे एसएमएस को रोकने के लिए ब्लॉकचेन आधारित मैकेनिज्म अपना रहे हैं जिसका तीसरा हिस्सा कंसेंट यानी सहमति है। टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने टेलिकॉम ऑपरेटर्स से इसे अपनाने को कहा है। ऑपरेटर्स ने दुनिया के सबसे बड़े ब्लॉकचेन आधारित सॉल्यूशन डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) के पहले दो एलिमेंट्स को लागू कर दिया है। इसका मकसद देश में एक अरब से अधिक मोबाइल फोन यूजर्स के एसएमएस ट्रैफिक पर नजर रखना है। लेकिन इसका तीसरा एलिमेंट यानी यूजर की सहमति सबसे चुनौतीपूर्ण और टाइम टेकिंग पार्ट है। इसकी वजह यह है कि करीब 400,000 कंपनियां रोज करीब एक अरब प्रमोशनल एसएमएस भेजती हैं।
तीन साल लगेंगे
भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, बीएसएनएल और एमटीएनएल की ब्लॉकचेन सर्विस प्रोवाइडर Tanla Platforms के चेयरमैन उदय रेड्डी का कहना है कि अगर एक अरब कस्टमर्स 400,000 कंपनियों के लिए कंसेंट देंगे तो इससे भारी डेटाबेस तैयार होगा। डीएलटी की अपलोड कैपेसिटी 100 टीपीएस (ट्रान्जेक्शन पर सेकेंड) की है। यानी इस पर 10 अरब कंसेंट अपलोड करने में तीन साल लगेंगे। जाहिर है कि इतने लंबे समय तक इसे रोका नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऑपरेटर्स का कंसोर्टियम इस समस्या को कम से कम समय में दूर करने के लिए काम कर रहा है। इसमें टान्ला के अलावा आईबीएम और टेक महिंद्रा भी शामिल है।
हालांकि ट्राई ने तीसरे चरण के क्रियान्वयन के लिए ऑपरेटर्स के समक्ष कोई समयसीमा नहीं रखी है। इस प्रोजेक्ट में आईबीएम और टेक महिंद्रा रिलायंस जियो के पार्टनर हैं। उन्होंने इस बारे में ईटी के सवालों का जवाब नहीं दिया। स्विगी, ऐमजॉन, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और नाइकी जैसी कंपनियां अपने ऐप्स या इन स्टोर परचेजेज और बिलिंग के जरिए आसानी से कस्टमर्स की सहमति ले सकते हैं। लेकिन देश में करीब 6.3 करोड़ छोटी इकाइयां हैं जो अपनी मार्केटिंग जरूरतों के लिए एसएमएस रूट का इस्तेमाल करती हैं या करना चाहती हैं।
क्या है नए सिस्टम का मकसद
इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि नए सिस्टम का मकसद एसएमएस के जरिए होने वाले फाइनेंशियल फ्रॉड्स को रोकना है। लेकिन सिम बेस्ड रूट से यह बदस्तूर जारी है। सिम बेस्ड रूट का मतलब पर्सनल मेसेजेज से है जो ऑफिशियल हेडर के बजाय फोन नंबर से आते हैं। बैंकरों को आशंका है कि कस्टमर्स का डेटाबेस बनाने और इसे टेलिकॉम कंपनियों और सर्विस प्रोवाइडर्स जैसी थर्ड पार्टीज के साथ साझा करने से निजता के मौलिक अधिकार के उल्लंघन का खतरा है। जानकारों का कहना है कि पहले दो चरण के सख्त नियम कमर्शियल एसएमएस चैनल की ग्रोथ के लिए घातक हो सकता है। टेलीमार्केटिंग फर्म कलाएरा के चीफ रेवेन्यू ऑफिसर अनिकेत जैन ने कहा कि कई ब्रांड्स ईमेल और वॉट्सऐप जैसे प्रचार के दूसरे तरीकों पर विचार कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि वे एसएमएस के नियमों का पालन नहीं करना चाहते हैं लेकिन उन्हें पता है कि कंसेंट का रास्ता बहुत लंबा और चुनौतियों से भरा है। वे इससे बचना चाहते हैं।