देहरादून : धर्म की आड़ लेकर मानवता को कलंकित करने वालों को देहरादून के आरिफ ने करारा जवाब दिया है। मैक्स अस्पताल में जीवन की जंग लड़ रहे एक युवक को खून देने में जब रोजा आड़े आया तो आरिफ ने खुशी खुशी रोजा तोड़ा और युवक की जान बचा ली। आरिफ खान देहरादून के नालापानी चौक सहस्रधारा रोड में रहते हैं। वे नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स (एनएपीएसआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। आरिफ ने बताया कि हर रोज की तरह शनिवार सुबह, उन्होंने व्हाट्सएप चेक किया। इस दौरान ग्रुप में एक मैसेज आया, जिसमें लिखा था कि उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ निवासी अजय बिजल्वाण पुत्र खीमानंद मैक्स अस्पताल के आईसीयू में भर्ती है। वायरल फीवर के कारण उनकी प्लेटलेट्स पांच हजार से नीचे पहुंच गई। दस दिन पहले भी खून चढ़ाया गया था। बाद में दिक्कत बढ़ने के कारण मैक्स में भर्ती करा दिया गया। अजय का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है। उसे तत्काल खून नहीं मिला तो जान को खतरा हो सकता है। बकौल आरिफ, मैसेज पढ़कर उन्होंने अस्पताल से संपर्क कर खून देने की इच्छा जताई। अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि खून देने के बाद उन्हें रोजा तोड़कर नाश्ता करना होगा। इसके बाद आरिफ खान रोजे की परवाह किए बिना अस्पताल पहुंचे और खून देकर अजय बिजल्वाण की जान बचा ली। आरिफ खान का मानव सेवा का यह भाव उन लोगों के सबसे बड़ा सबक है जो धर्म के नाम पर मानवता को पीछे धकेल देना चाहते हैं। सभी वर्गों के लोग आरिफ की सराहना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि रक्तदान सबसे बड़ा दान होता है। आरिफ से और लोगों को भी सीख लेनी चाहिए। आरिफ खान ने बताया कि सबसे बड़ा मानव धर्म होता है। यदि मेरे एक रोजा तोड़ने से एक व्यक्ति की जान बच सकती है तो यह मेरा सौभाग्य है। यही मेरे लिए सबसे बड़ा पुण्य होगा।