कैसे करूं आराधन देवी
कैसे तुझे मनाऊं,
सूखा चंदन, बिखरी रोली
कैसे तुझे सजाऊं।
दानव का संहार करे तू
मानव का कल्याण,
सबकी झोली तू भरती है
दे करूणा का दान।
देव दनुज का फर्क मिटा अब
कैसे तुझे बताऊं,
सूजी आंखें, उखड़ी सांसें
कैसे तुझे रिझाऊं।
मानव ही दानव बन बैठा
मचा है हाहाकार
भूल गया जग की मर्यादा
औ जीवन का सार
ऐसे रौरव नरक में माता
कैसे तुझे बुलाऊं।
सूखे फूल, टूटी माला
अब क्या तुझे चढ़ाऊं।
मन बेकल, तन घायल देवी
नयन से बहती धार,
कौन सुने फरियाद हमारी
तुझ पे टिकी है आस।
एक बार फिर
बन कर काली
धर ले हाथ कृपाण,
सारे दानव करें समर्पण
या कर उन पर वार।
हर नारी के ह्रदय में कर माँ
साहस का संचार।
मुझको इतना वर दे मैया
मैं दुर्गा बन जाऊं,
हाथ खड्ग लें मैं भी सबको
अपना शौर्य दिखाऊं।
पापमुक्त कर इस धरती को
“गीत” मैया के गाऊं।
तेरा रूप धरूं माँ पहले
फिर मैं तुझे रिझाऊं।
थाल सजाकर पूजा का, माँ
तेरी बलि -बलि जाऊं।
तेरी शक्ति पाकर माता
मैं तुझ सी बन जाऊं।
तभी करूं माँ पूजा तेरी
तब ही तुझे मनाऊं।
तू मुझमें मैं तुझमें मैया
सबको यही बताऊं।
सारे जग का तम हर ले, माँ
ऐसे दीप जलाऊं।
तेरे चरणों में देवी मैं
सारे असुर सुलाऊं।।