देश की ओर आँखें दिखाने वालों की आँखें निकाल ही लेना ओ मेरे युवा साथी!
प्रतिभागी – नेहा सिंह प्रतियोगिता का नाम- समीक्षा लेखन बी.एड ( डब्ल्यूटीटीईपीए) मातृभाषा – हिंदी
– डॉ. वसुंधरा मिश्र रिश्ते रेशमी बंधन हैं बंधक बना देते हैं तोड़ने के लिए
– अंजू सेठिया ‘दीपक’ की आलोकित लौ हमेशा “जय हो” का उदघोष करती रहेगी l
देश-दुनिया में कथक नृत्य से अपनी पहचान बनाने वाले नर्तक पंडित बिरजू महाराज का रविवार
कोलकाता । प्रख्यात रंगकर्मी शाओली मित्रा का गत रविवार को दक्षिण कोलकाता स्थित उनके आवास
कोलकाता । बंगीय हिंदी परिषद ने नए वर्ष में एक अभिनव संकल्प लिया है। परिषद
उत्ताल सागर की तरंगों में झिलमिल करती रश्मियां सागर के तट की लहरों को छू
सिद्धि जैन महादेवी बिड़ला शिशु विहार में कक्षा 8 की छात्रा हैं। यह कविता स्वरचित
उस दिन उसने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा था आदतें बदलने से साथ नहीं छूटता