आज के समय में जो कहानियां लिखीं या बुनी जा रही हैं उन्हें लेकर एक
वाया ‘मीडिया: एक रोमिंग कॉरस्पॉडेंट की डायरी’ 1990 से लेकर 2005 तक के कालखंड; लगभग
15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ लेकिन यह आजादी विभाजन के कंधे पर चढ़कर
प्रख्यात कवयित्री रश्मि भारद्वाज का नया काव्य संग्रह है। मन को छूने वाली समय से
कोलकाता : सामाजिक विज्ञान और मानविकी के त्रैमासिक जर्नल ‘द पर्सपेक्टिव इंटरनेशनल जर्नल ऑफ सोशल
-दीपा गुप्ता प्रेमचंद जी ने 1916 में “बाजार-ए-हुस्न” लिखा, जिसका उन्होंने एक साल बाद हिन्दी
शिक्षण डॉ. वसुन्धरा मिश्र द्वारा। उपन्यास और कहानी के अंतर्गत उपन्यास :”सूखा बरगद “-मंजूर एहतेशाम
कहते हैं कि बच्चों को वातावरण और प्रोत्साहन मिले तो उनकी प्रतिभा और निखर जाती
प्रत्यंचा युवा कवयित्री पंखुरी सिन्हा का हिंदी में तीसरा कविता संग्रह है। इसमें १४६ कवितायेँ