कोलकाता : साहित्य मानवीय मूल्यों को कट्टरता और बाजार संस्कृति से बचाने की जगह है। यह
जब खेली होली नंद ललन हँस हँस नंदगाँव बसैयन में। नर नारी को आनन्द हुए
मुम्बई : संजय लीला भंसाली वर्ष 1952 में प्रदर्शित सुपरहिट फिल्म बैजू बावरा का रीमेक
कोलकाता : कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की प्रोफेसर एवं सम्प्रति वेस्ट बंगाल युनिवर्सिटी आफ
हावड़ा : मुक्तांचल और हावड़ा की संस्था विद्यार्थी मंच के तत्वावधान में ‘स्त्री कलम: प्रतिरोध
परिचित हूँ मैं, स्वयं की क्षमता से, परिचित हूँ मैं, स्वयं की शक्ति से, मुझे
बेशक “वो” ….. साथ चाहती हो, पर सहारा नहीं। अपने हिस्से का…. सम्मान चाहती, पर
नयी दिल्ली/ कोलकाता : देवीशंकर अवस्थी की स्मृति में आलोचना के लिए प्रतिवर्ष ‘देवीशंकर अवस्थी स्मृति
गति प्रबल पैरों में भरी फिर क्यों रहूं दर दर खडा जब आज मेरे सामने
नयी दिल्ली : हिंदी जगत के प्रख्यात साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह नहीं रहे। 93 वर्षीय नामवर सिंह