जनवरी का महीना हो। रविवार हो। दोपहर का समय हो और आपको फिल्म देखने की
अगर आप किताबें पढ़ने के शौकीन हैं तो आपके लिए यह रोमांचक खबर हो सकती
वरिष्ठ इतिहासकार सुधीर चन्द्र की पुस्तक ‘‘रख्माबाई स्त्री अधिकार और कानून’’ गुलाम भारत के समय
अपने चरित नायकों को हम उस पूज्य दृष्टि से देखते हैं कि उनके आस –
प्रशनिकी सम्प्रति महानगर कोलकाता की रंग संस्था पदातिक और रिक के संयुक्त तत्वाधान में प्रस्तुत
कोलकाता : नीलाम्बर कोलकाता द्वारा आयोजित लिटरेरिया का समापन साहित्य, संस्कृति और कला के तमाम
लिटिल थेस्पियन का 8वां राष्ट्रीय नाट्य उत्सव जश्न-ए-रंग उन्हीं भावों और संवेदनाओं का रोचक प्रदर्शन
भारत कई कलाओं की जन्मभूमि रहा है मगर नयी सोच हर चीज को पश्चिम से
नयी दिल्ली : एक कश्मीरी लोकगीत ‘हो गुलो’ आजकल कश्मीर घाटी में युवाओं की जुबान
पिथौरागढ़ : मशहूर कुमाउंनी लोक गायिका कबूतरी देवी का दिल का दौरा पड़ने से आज