नयी दिल्ली : रोजमर्रा के कामों और परेशानियों में हम इतना उलझ जाते हैं कि हम अपनी मां को भूल जाते हैं। लेकिन वह फिर भी हमारे लिए, हमारी खुशियों के लिए लगातार संघर्ष करती है। हमें लगता है कि हमारी मां खुश हैं लेकिन अगर आंकड़ों की मानें तो ऐसा बिल्कुल नहीं है।
मॉम्सप्रेस (महिलाओं के लिए यूजर जेनेरेटिड वेबसाइट) ने एक सर्वे किया है। जिसमें करीब 1200 माओं (कामकाजी और घरेलू) को शामिल किया गया था। इस ‘मॉम्स हैपिनेस सर्वे’ में दिल्ली, मुंबई, बंगलूरु और कोलकाता की महिलाएं शामिल थीं। रिपोर्ट में बताया गया है कि शहरों में रहनेवाली 70 फीसदी मां ऐसी हैं जो खुश नहीं हैं। इसका कारण उन्हें मिलने वाली कम प्रशंसा और अवास्तविक अकांक्षाएं हैं। यानि उन्हें उनके किए गए काम और संघर्ष के लिए छोटी सी प्रशंसा तक नहीं मिल पाती है।
वहीं कामकाजी महिलाओं को भी इसमें शामिल किया गया था। जांच में पता चला कि उनकी खुशी उनके नियोक्ताओं से उन्हें मिलने वाले सहयोग पर निर्भर करती है। इसके अलावा उनकी खुशी उनके परिवार के सुख और कार्यस्थल पर उनकी उपयोगिता पर भी निर्भर करती है। मॉम्सप्रेस के सीईओ विशाल गुप्ता का कहना है कि सभी माओं को घर के साथ-साथ कार्यस्थल पर भी प्रशंसा मिलनी चाहिए।
ये हैं मां की नाखुशी की वजह
– 73 फीसदी माताएं सोचती हैं कि वे अच्छी मां नहीं हैं।
– जरूरत से ज्यादा चिंता करना।
– खुद की खुशियों के लिए कोई प्रयास ना करना।
– परिवार की इच्छाएं पूरी करने के लिए खुद की इच्छाएं भूल जाना।
इन पांच बातों पर करती हैं सबसे ज्यादा चिंता
घर की छोटी से लेकर बड़ी हर परेशानी की सबसे ज्यादा चिंता मां को ही रहती है। आंकड़ों से पता चलता है कि मां घर में बनने वाले खाने, बच्चों की परीक्षाएं, अनुशासन, अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों को लेकर भी चिंतित रहती हैं।
ये बातें रिपोर्ट में आई सामने
– 57 फीसदी माताएं बच्चे के जन्म के बाद काम पर जाना मुश्किल समझती हैं।
– 41 फीसदी माताएं कार्यस्थल पर मिलने वाले सहयोग से खुश हैं।
– 70 फीसदी माताएं महीने के आखिर में पति के साथ वित्तीय मामलों पर विचार विमर्श करती हैं।
– 91 फीसदी माताएं ऐसी हैं जिनके खुद के स्वतंत्र बैंक अकाउंट हैं।
– 76 फीसदी मां कहती हैं कि वह बिना किसी की आज्ञा के अपनी निजी आवश्यकताओं पर खर्च करती हैं।
– 27 फीसदी नाखुश माताओं को बीते एक साल में एक बार भी प्रशंसा नहीं मिली।
– 90 फीसदी माताओं को 3 महीने पहले ही प्रशंसा मिली थी।
– व्हाट्सएप और फेसबुक पर तकरीबन रोज 2 घंटे व्यतीत करती हैं।