आज से (18 मार्च) चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। इसका समापन 26 मार्च को होगा। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र साल में 4 बार आते हैं। इन चारों नवरात्रों में दो नवरात्र (चैत्र नवरात्र और शरद नवरात्रि) का ही धूमधाम से मनाया जाता है। शरद नवरात्रि को महा नवरात्रि कहा जाता है। यह नवरात्र सिंतबर-अक्टूबर में आते हैं। इस नवरात्रि के दशवें दशहरा मनाया जाता है। वहीं चैत्र नवरात्र मार्च-अप्रेल में मनाया जाता है।
शरद नवरात्रि के 10वें दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है इस दिन भगवान राम ने रावण पर जीत पाई थी। वहीं चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। जिसे राम नवमी के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि भी कहा जाता है। इस नवरात्र के बाद गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है।
होना चाहिए पेड़ पौधों का स्थान
शास्त्रों के मुताबिक सबसे पहले भगवान रामचंद्र ने समुंद्र के किनारे नौ दिन तक दुर्गा मां का पूजन किया था और इसके बाद लंका की ओर बढ़े थे। जिसके बाद उन्होंने युद्ध में विजय भी प्राप्त की थी। पुराणों में नवरात्रों की महिमा का बहुत गुणगान मिलता है। स्वयं ब्रह्मदेव ने मां के नवरात्रों की महिमा बृहस्पति देव को बताते हुए उस ब्राह्मण पुत्री के बारे में कथा सुनाई जिसने सबसे पहले देवी दुर्गा के नवरात्र का उपवास रखा था। नवरात्रों में घर में पूजा से पहले सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। माना जाता है नवरात्र के दिनों में दुर्गा मां कैलाश छोड़कर धरती पर अपने भक्तों के साथ रहती हैं। साल 2018 में चैत्र नवरात्रि 18 मार्च को शुरू हो रहे हैं और यह 25 मार्च तक रहेंगे। 26 मार्च को नवरात्र का व्रत तोड़ा जाएगा।