नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को 50 करोड़ रुपये से अधिक के सभी एनपीए खातों की जांच करने के सरकार के आदेश से बैंकिंग प्रणाली की “जरुरी” सफाई के साथ-साथ पारदर्शी जोखिम प्रबंधन तंत्र सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। उद्योग मंडल फिक्की ने आज यह बात कही।
सरकार ने धोखाधड़ी और जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों का पता लगाने के लिये बैंकों को यह आदेश दिया है। हालांकि, फिक्की ने कहा कि इस कदम को सावधानी से उठाने की जरुरत है और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि जांच कर्ज वितरण और व्यवसायिक भावना को प्रभावित नहीं करे।
वित्त मंत्रालय ने संभावित धोखाधड़ी का पता लगाने के लिये सार्वजनिक बैंकों को सभी एनपीए या फंसे कर्ज खातों की जांच करने के निर्देश दिये हैं और मामलों की रिपोर्ट सीबीआई को देने के लिये कहा है। यह निर्देश अरबपति आभूषण कारोबारी नीरव मोदी और उसके सहयोगियों द्वारा पीएनबी के साथ 12,700 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद आए।
फिक्की अध्यक्ष राशेष शाह ने कहा, “सरकार और रिजर्व बैंक के निरंतर प्रयासों के साथ सार्वजनिक बैंकों को तत्काल प्रभाव से अपने जोखिम प्रबंधन अभ्यास को मजबूत करना चाहिये। इसके साथ ही मौजूदा एनपीए खातों पर कार्रवाई, पारदर्शिता के लिए प्रभावी समयबद्ध कार्य योजना और एक मजबूत जोखिम प्रबंधन प्रणाली इन बैंकों के लिये आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर आईबीए के माध्यम से एनपीए समाधान के प्रति सरकार की रणनीति धोखाधड़ी और जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में मदद करेगी।