कविता से अगर लय-छंद छोड़ा जाए तो किसी बड़े उद्देश्य के लिए छोड़ा जाए– नरेश सक्सेना

कोलकाता :  वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना मानते हैं कि कविता का कोई एक तरीका नहीं, परंतु उसकी एक संरचना अवश्य होती है, लेकिन कोई आलोचक उस संरचना के बारे में नहीं बताता है। कविता से अगर लय – छंद छोड़ा जाये तो किसी बड़े उद्देश्य के लिए ही छोड़ा जाये। नीलांबर कोलकाता द्वारा आयोजित ‘कविता जंक्शन’ के एक वर्ष पूरे होने पर आयोजित साहित्यिक अड्डे में उन्होंने उक्त बातें कही। इस अड्डे के आरंभ में नरेश सक्सेना की कविता ‘गिरना’ पर एक विडियो फिल्म दिखाया गया, कविता की आवृत्ति स्मिता गोयल और फिल्म निर्देशन ममता पांडेय एवं विशाल पांडेय ने किया। इस अड्डे में 17 कवियों ने कविता पाठ किया। नीलकमल, विमलेश त्रिपाठी, शैलेन्द्र शांत, विजय गौड़, निर्मला तोदी, यतीश कुमार, आशा पांडेय, कल्पना झा, सुषमा त्रिपाठी, रेवा टिबरेवाल, ऋतु तिवारी, राहुल राजेश, आनंद गुप्ता, संजय जायसवाल, ऋतेश पांडेय, संजय राय, ममता पांडेय, मंटू कुमार साव, जुली जाह्नवी। नरेश सक्सेना ने इन सभी कवियों की कविताओं पर बात की। कार्यक्रम का संचालन आशा पांडेय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन संस्था के अध्यक्ष विमलेश त्रिपाठी ने।

 

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