अगर हम यह कहें कि होली में लड़कों को बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है तो शायद यह कहना गलत नहीं होगा। दरअसल, यह जरूरी है कि आपके पहनावे से लेकर आपके बर्ताव का असर पड़ता है। आमतौर पर ये माना जाता है कि ल़ड़कों को अपने गेटअप पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है मगर यह जरूरी है कि आप खुद को बहुत ज्यादा नजरअन्दाज न करें और मामला जब होली का हो तो कुछ बातों का ध्यान तो रखना ही होगा –
अच्छी सी टीशर्ट और ट्राउजर आप पहन सकते हैं। होली खेलते समय बरमूडा या पजामा भी चलेगा मगर लुंगी भूलकर भी न पहनें वरना आपका ध्यान उसी पर रहेगा। सफेद या किसी हल्के रंग का कुरता और लाइटवेट डेनिम पहन सकते हैं।
जालीदार बनियान आपकी इमेज का कचरा कर सकती है। जितनी भी शरारत हो मगर कपड़ों में एक गरिमा आपके व्यक्तित्व में चार चाँद लगा सकती है।
बालों और शरीर पर तेल जरूर लगा लें, रंग आसानी से छूटेगा। फेसपैक, मॉश्चराइजर आपके लिए भी इतना ही जरूरी है।
कोल्हापुरी चप्पल या लेदर चप्पलें पहनी जा सकती हैं मगर अपने महँगे जूते पहनकर बाहर न निकलें।
किसी ने पैर पर अबीर रख दिया तो आप मना तो नहीं कर सकेंगे मगर बाद में जूतों को नया बनाना कठिन होगा।
बालों को बचाने के लिए पगड़ी, कैप या टोपी के साथ आँखों को बचाने के लिए गॉगल्स पहन सकते हैं।
चाहे तो कमर पर दुप्पटे की तरह बाँघनी का स्टोल बाँध सकते हैं। खाली बदन रंग खेलना न आपकी सेहत के लिए सही है और न ही ये शिष्टाचार के तहत आता है।
कीचड़ और बलूनमार वाली होली और केमिकल रंग आपकी होली का मजा बिगाड़ सकते हैं।
जबरन किसी को रंग लगाने की गलती न करें। किसी महिला को तो हरगिज नहीं, फिर भले ही वह आप उसे भाभी बुलाते हों। जरूरी नहीं कि वह आपको देवर मानती हो इसलिए होली के बहाने जबरदस्ती की रिश्तेदारी न बनायें।
अगर आप होली पर रंग नहीं खेलना चाहते तो विनम्रता से मना कर दें। अगर घर से नहीं निकलना चाहें तो न निकलें। अगर कोई रंग लगाना ही चाहें तो आप एक हल्का सा टीका लगवा सकते हैं।
आपका मन भी रह जायेगा और सामने वाले की बात भी रह जायेगी। मिस्टर खंडूस बने बगैर भी मना किया जा सकता है।
ससुराल जा रहे हों तो साली आधी घरवाली का फॉर्मूला बिल्कुल न अपनायें। ये नियम सस्ती किताबों में अच्छा लग सकता है मगर लड़कियाँ इसे सही नहीं मानतीं।
होली पार्टी कर रहे हैं तो अश्लील गीतों से बचें। अगर कोई महिला आपकी मित्र हुई और पार्टी में आमंत्रित है तो वह असहज तो होगी ही, आपकी छवि भी हमेशा के लिए खराब हो सकती है।
दफ्तर में होली खेलते समय या रंग लगाते समय विशेष सावधानी की जरूरत है। आप सूखे अबीर से होली खेल सकते हैं मगर एक सीमा में। शराब और भांग को किसी भी पार्टी के मेन्यू से दूर रखें। ठंडाई या शरबत इसकी जगह काफी है।
होली एक ऐसा मौका है जब वास्तव में आपके व्यवहार की परख होती है। महिलाओं को जहाँ – तहाँ और होली के नाम पर अश्लीलता की हद तक जाकर रंग लगाना आपकी नीयत को भी सामने ला देता है। मौके की नजाकत और अपनी शराफत को हमेशा बरकरार रखें…..होली की खूबसूरती आपके अन्दाज में नजर आयेगी।