प्रतिद्वंद्वी टीमों को लगातार रौंदने से विराट कोहली की महानता में इस वर्ष तेजी से बढ़ोतरी हुई जबकि भारतीय महिला टीम को भी अपने शानदार विश्व कप अभियान की बदौलत अंतत: ‘क्रिकेट को लेकर जुनूनी’ देश से प्यार और सम्मान मिला।
‘किंग कोहली’ लगातार नौ सीरीज जीतने के बाद अब अगले 18 महीनों में मिलने वाली चुनौती के लिये तैयार हैं जबकि पिछले छह महीनों में मिताली राज महिला क्रिकेट टीम की कप्तान से अब एक ब्रांड बन गयी हैं।
भारतीय महिला टीम भले ही मेजबान इंग्लैंड से विश्व कप के रोमांचक फाइनल में हार गयी हों, लेकिन इस प्रदर्शन की बदौलत उन्हें देश में लोगों का प्यार और वित्तीय प्रोत्साहन मिला जिससे महिला टीम देश में सुर्खिंयों में रहीं। यह पहली बार है जब देश में महिला क्रिकेट को इतनी गम्भीरता से लिया गया और आज महिला खिलाड़ियों को हर जगह देखा जाने लगा है जिसका श्रेय मिताली की लाजवाब कप्तानी को जाता है।
वहीं प्रतिद्वंद्वी टीमों के लिये भारतीय पुरूष टीम के बेहतरीन सफर को रोकना नामुमकिन रहा।
हालांकि भारतीय टीम ने अपने ज्यादातर मैच घरेलू मैदान पर ही खेले लेकिन लगातार नौंवी टेस्ट सीरीज जीतना और लगातार आठ वनडे सीरीज अपने नाम करना कोई उपलब्धि से कम नहीं।
कोहली और उनकी टीम को हालांकि कुछ मौकों पर परीक्षा से भी गुजरना पड़ा जैसे आस्ट्रेलिया के खिलाफ पुणे टेस्ट में मिली हार या ईडन गार्डंस में श्रीलंका के खिलाफ तेज गेंदबाजों के मुफीद पिच पर पहली पारी में सिमटना मुश्किल मौके रहे। लेकिन ऐसा एकाध बार ही हुआ।
इस इतने शानदार वर्ष में सबसे निराशाजनक प्रदर्शन चैम्पियंस ट्राफी का फाइनल रहा जिसमें उसे पाकिस्तान से हार का मुंह देखना पड़ा जबकि भारतीय टीम इसमें गत चैम्पियन के तौर पर खेल रही थी।
लेकिन इस हार के बाद जो विवाद भारतीय टीम से जुड़ा, वह भारतीय क्रिकेट इतिहास के भुलाने वाले अध्याय में शामिल हो गया। कोहली और कोच अनिल कुंबले के बीच बढ़ता विवाद खुले में आ गया जिसके बाद कुंबले को एक साल के सफल कार्यकाल के बाद इस्तीफा देने के लिये बाध्य होना पड़ा।
इस पूरे प्रकरण से हालांकि इस बार की फिर से पुष्टि हो गयी कि भारतीय टीम में केवल एक ही ‘बॉस’ है और वो कप्तान है।
हालांकि कोहली-कुंबले ब्रेक-अप से टीम के मैदानी प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ा और थोड़े ही समय में यह सामान्य हो गया तथा ड्रेसिंग रूम में पसंदीदा रवि शास्त्री ने इस महान स्पिनर की जगह वापसी की।
मैदान के बाहर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति ने चार लोगों के साथ बीसीसीआई का काम शुरू किया लेकिन बाद में लोगों की संख्या घटकर दो हो गयी। रामचंद्र गुहा ने सीओए के काम करने के तरीके पर कड़वाहट भरा पत्र लिखकर असंतुष्टि व्यक्त करते हुए इस पद से इस्तीफा दे दिया।
मैदान में कप्तान के प्रदर्शन पर जरा भी असर नहीं पड़ा और उनका रनों का अंबार लगाना जारी रहा, जिसमें उन्होंने टेस्ट और वनडे में 11 शतक जुटाये जिसमें पांच दिवसीय प्रारूप में तीन दोहरे शतक शामिल थे।
रोहित शर्मा का भी चोट के बाद वर्ष शानदार रहा, उन्होंने सत्र में वनडे में तीसरा दोहरा शतक जड़ने के अलावा श्रीलंका के खिलाफ टी20 सीरीज के दौरान सबसे तेज शतक भी जड़ा।