पढ़ाई पूरी करने के बाद अच्छा कैरियर बनाने का सपना किस नौजवान का नहीं होता। जिस काम को लेकर आज के युवा कतराते हैं उसे इस नौजवान ने चुना है। जिसके दम पर वो 40 लाख की ऑडी में घूमता है।
यमुनानगर के निकटपुर गांव के निर्मल सिंह ट्रिपल एमए, एमएड, एमफिल और पीएचडी होते हुए भी खेती कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी में लेक्चरर की नौकरी का ऑफर छोड़कर वे किसान बने। खेती को घाटे का सौदा बताने वालों की धारणा के उलट उन्होंने खेती से अच्छी कमाई की और अब वे 40 लाख की ऑडी में घूमते हैं।
निर्मल सिंह के पास 40 एकड़ जमीन है। 60 एकड़ ठेके पर लेकर वे पूरे 100 एकड़ में हर साल सिर्फ बासमती चावल की ही पैदावार लेते हैं। 1997 से अब तक धान की फसल निर्मल सिंह ने कभी मंडी में नहीं बेची।
निर्मल सिंह के पास 40 एकड़ जमीन है। 60 एकड़ ठेके पर लेकर वे पूरे 100 एकड़ में हर साल सिर्फ बासमती चावल की ही पैदावार लेते हैं। 1997 से अब तक धान की फसल निर्मल सिंह ने कभी मंडी में नहीं बेची।
छोटी-सी उम्र में पिता का साया सिर से उठ जाने के कारण निर्मल सिंह ने हिम्मत नहीं हारी। परिवार का बोझ कंधों पर आते ही नौकरी की बजाए खेती को तरजीह दी। वे कहते हैं कि अगर सही ढंग से खेती की जाए तो इससे बढ़िया कोई कारोबार नहीं है। वे ही किसान कर्ज की वजह से आत्महत्या करते हैं जो कर्ज का सही इस्तेमाल नहीं करते।
निर्मल सिंह खेती के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। धान की रोपाई से पहले ट्रैक्टर से खेत को समतल नहीं करते, इससे खर्च की बचत होती है। रोपाई से पहले खेत में पानी छोड़ दिया जाता है। लेकिन ट्रैक्टर कभी नहीं चलाया। निर्मल सिंह बताते हैं कि इस तकनीक से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। पानी की खपत भी आधी रह जाती है।