कोलकाता । बैंकरों की एक संस्था की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल में सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी ) के लोग शामिल हैं, को संस्थागत लोन तक सीमित पहुंच मिल रही है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले छह महीनों में, पश्चिम बंगाल में कुल 48,08,752.02 करोड़ रुपये का संस्थागत लोन दिया गया, जिसमें से सिर्फ 29,654.03 करोड़ रुपये सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को दिए गए। आंकड़ों के हिसाब से, इसका मतलब है कि समीक्षाधीन अवधि के दौरान राज्य में दिए गए कुल लोन का सिर्फ छह प्रतिशत ही सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को मिला। इसी अवधि में ऐसे लोन पाने वालों की संख्या के मामले में, सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व कुल लोन पाने वालों की संख्या के मुकाबले न के बराबर था। समीक्षाधीन अवधि के दौरान, सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के संस्थागत लोन पाने वालों की कुल संख्या 15,12,216 थी, जबकि कुल लोन पाने वालों की संख्या 64,07,678 थी। इसका मतलब है कि सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को मिले संस्थागत लोन की संख्या कुल लोन पाने वालों की संख्या का सिर्फ 23 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा पश्चिम बंगाल की स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी (SLBC) की हालिया बैठक में दिया गया, इस कमेटी में राज्य में काम करने वाले बैंकों के साथ-साथ राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। बैठक का विवरण IANS के पास उपलब्ध है। हालांकि, अच्छी बात यह थी कि 30 सितंबर, 2025 तक पश्चिम बंगाल में क्रेडिट टू डिपॉजिट (CD) अनुपात पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले काफी बेहतर हुआ। 30 सितंबर, 2025 तक सीडी अनुपात 70.59 प्रतिशत था, जबकि 30 सितंबर, 2024 तक यह 69.88 प्रतिशत था। हालांकि, इसी अवधि में बीरभूम, कोलकाता, मालदा और पुरुलिया जैसे जिलों में सीडी अनुपात में नकारात्मक रुझान देखा गया। पश्चिम बंगाल के पूर्व वित्त मंत्री और राज्य सरकार के मौजूदा मुख्य आर्थिक सलाहकार, अमित मित्रा ने इन जिलों के लीड डिस्ट्रिक्ट मैनेजरों से तुरंत सुधारात्मक उपाय शुरू करने का आग्रह किया।





