नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 की धारा 3, 5 एवं 7 को असंवैधानिक करार देते इसे निरस्त कर दिया है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि संसद केवल उन प्रावधानों को दोबारा लागू नहीं कर सकती जिन्हें कोर्ट पहले ही निरस्त कर चुका है, जब तक उनके मूल संवैधानिक दोषों को दूर न कर दिया जाए।
कोर्ट ने कहा कि 50 वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा, चार साल का कार्यकाल और सर्च सह चयन समिति की प्रक्रिया से जुड़े प्रावधान शक्तियों के पृथक्करण और न्यायिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। जस्टिस के विनोद चंद्रन ने टिप्पणी की कि ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट रद्द किए गए अध्यादेश की ही एक प्रति है। कोर्ट ने कहा कि यह नई बोतल में पुरानी शराब है। यह मामला ट्रिब्यूनलों की स्वतंत्रता को लेकर चल रही लंबी कानूनी लड़ाई का हिस्सा है। उच्चतम न्यायालय ने अपने पहले के फैसलों में ट्रिब्यूनल के सदस्यों के कार्यकाल और आयु सीमा से जुड़े नियमों को निरस्त किया था। इसके बावजूद, संसद ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 पारित किया, जिसमें पुराने प्रावधानों को फिर से शामिल किया गया जैसे कि नियुक्ति के लिए न्यूनतम 50 वर्ष की आयु और केवल चार साल का कार्यकाल जिन्हें कोर्ट पहले ही असंवैधानिक घोषित कर चुका था। मद्रास बार एसोसिएशन ने इस कानून को चुनौती दी थी।
अंगदान और प्रत्यारोपण के लिए एक समान नियम बनाने का दिया निर्देश
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अंग दान और प्रत्यारोपण पर एक बड़ा फैसला दिया है। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को कई दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि पूरे देश में एक जैसी नीति और एक जैसे नियम बनाए जाएं ताकि अंग दान की प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष और तेज हो सके। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये आदेश इंडियन सोसायटी ऑफ ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वो इस मामले में एक राष्ट्रीय नीति तैयार करे, जिसमें अंग दान के लिए एक समान नियम हो जिसमें लिंग और जाति आधारित भेदभाव को खत्म करने के उपाय और पूरे देश के लिए एक समान डोनर मानदंड शामिल हो। कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग राज्यों के अलग मानदंड मरीजों और दाताओं, दोनों के लिए असमानता पैदा करते हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो आंध्र प्रदेश को 2011 के मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम में हुए संशोधनों को अपनाने के लिए राजी करे। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वो कर्नाटक, तमिलनाडु और मणिपुर जैसे राज्यों को तुरंत मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण के नियम, 2014 लागू करने को कहा जाए, क्योंकि अभी वे अपने अलग-अलग नियमों पर चल रहे हैं।





