कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत आवेदनकर्ताओं की रसीद को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने की मांग की गई थी। न्यायालय ने कहा कि यह मामला सामूहिक निर्देश देने योग्य नहीं है, क्योंकि प्रत्येक आवेदन का स्वरूप और आधार अलग-अलग है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पाल और न्यायमूर्ति चैताली चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति को नागरिकता मिलेगी या नहीं, यह पहले केंद्र द्वारा तय किया जाएगा। हर आवेदक की परिस्थिति भिन्न है, इसलिए इस विषय में कोई सामान्य आदेश पारित नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि नागरिकता से संबंधित निर्णय केंद्र के अधिकार क्षेत्र में है, न कि निर्वाचन आयोग के। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने अदालत को बताया कि पश्चिम बंगाल से सीएए के नियमों के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों के मामलों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय अगले 10 दिनों के भीतर विचार करेगा और निर्णय देगा। राज्य ने बताया कि आयोग (निर्वाचन आयोग) एसआईआर प्रक्रिया का कार्य स्वतंत्र रूप से कर रहा है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत में कहा कि देशभर में लगभग 50 हजार लोगों ने सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन किया है, लेकिन अब तक एक भी आवेदन का निस्तारण नहीं हुआ है। जबकि कानून के अनुसार प्रत्येक आवेदन पर अधिकतम 90 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए। इस पर अदालत में केंद्र ने आश्वासन दिया कि नियमों के अनुसार 10 दिनों में सभी लंबित आवेदनों की समीक्षा की जाएगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि निर्वाचन आयोग का इस प्रक्रिया में कोई दायित्व नहीं है, क्योंकि नागरिकता का निर्धारण पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन है। इसलिए जब तक केंद्र किसी व्यक्ति की नागरिकता की पुष्टि नहीं करता, तब तक एसआईआर प्रक्रिया में उसके दस्तावेज को स्वीकार या अस्वीकार करने का निर्णय नहीं लिया जा सकता।





