इस्लामाबाद । अब पाकिस्तान अपनी सेना को किराये पर देने की तैयारी में है। हर सैनिक के बदले 10,000 अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 8.86 लाख रुपये की मांग की गई है। आरोप है कि गाज़ा में प्रस्तावित शांति रक्षक बल में सैनिक भेजने के लिए पाकिस्तान ने यह रकम मांगी है। वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार आसमा शिराज़ी ने यह दावा किया है। आसमा शिराज़ी का कहना है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने इज़रायल से हर सैनिक के लिए 10,000 डॉलर की मांग की थी। अगर यह आरोप सही है, तो 20,000 सैनिकों को भेजने के बदले पाकिस्तान ने कुल 200 मिलियन डॉलर (करीब 1,772 करोड़ रुपये) मांगे हैं। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक इज़रायल ने केवल 100 डॉलर (8,860 रुपये) प्रति सैनिक देने का प्रस्ताव दिया है। इस बात को लेकर पाकिस्तानी सेना अब विवादों के घेरे में है। इस्लामाबाद खुद को हमेशा “मुस्लिम दुनिया का रक्षक” बताता रहा है। लेकिन गाज़ा में शांति स्थापित करने के नाम पर जब वही सेना मोटी रकम की मांग करने लगे, तो सवाल उठना लाजिमी है। आलोचकों का कहना है कि पाकिस्तान की सेना के लिए नैतिकता या मानवता नहीं, बल्कि पैसा ही सर्वोपरि है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20-सूत्रीय गाज़ा शांति योजना का एक अहम हिस्सा है — एक अस्थायी बहुराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल यानी आईएसएफ की स्थापना। ट्रंप के अनुसार, यह बल फिलिस्तीनी पुलिस को प्रशिक्षण देगा और उसके पुनर्गठन में मदद करेगा। पिछले साल पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ ने कहा था कि अगर गाज़ा में सेना भेजने का मौका मिले तो इस्लामाबाद “गर्व महसूस करेगा”। लेकिन अब सेना के इस आर्थिक सौदेबाजी वाले रवैये ने साबित कर दिया है कि ये बयान महज दिखावे के थे। फिलिस्तीन के प्रति एकजुटता जताने की बजाय आर्थिक लाभ को प्राथमिकता दी जा रही है।
आसिम मुनीर बनेंगे तीनों सेनाओं के प्रमुख
इस्लामाबाद । पाकिस्तानी संसद ने आर्मी चीफ आसिम मुनीर को तीनों सेनाओं का प्रमुख बनाने के लिए संविधान में बदलाव किया है। अब उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) बनाया जाएगा। यह भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की तरह होगा। यह नया पद इसलिए बनाया गया है ताकि सेना, नौसेना और वायुसेना आपस में मिलकर बेहतर तरीके से काम कर सकें और तीनों की कमान एक जगह से संभाली जा सके। इससे पहले ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस साल 20 मई को पाकिस्तानी सरकार ने आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल का दर्जा दिया था।मुनीर से पहले 1959 में सैन्य तानाशाह अयूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल घोषित कर दिया था। फील्ड मार्शल पाकिस्तान सेना में सर्वोच्च सैन्य रैंक है, जो एक फाइव स्टार रैंक मानी जाती है। यह रैंक जनरल (फोर स्टार) से ऊपर है। पाकिस्तान में फील्ड मार्शल का पद सेना, नौसेना और वायुसेना में सबसे ऊंचा होता है।मुनीर को 6 महीने में 2 बड़ा प्रमोशन मिला है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक चीफ ऑफ फोर्सेस बनाने का फैसला मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई चार दिन की झड़प से मिली सीख के बाद लिया गया है।





