Sunday, August 17, 2025
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भारत में सबसे ज्यादा हो रही है रेबीज से मौतें

नयी दिल्ली । हाल के दिनों में देश की सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार ने राजधानी में बढ़ रहे आवारा कुत्तों के आतंक पर चिंता जाहिर की थी। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लिया था। बता दें कि दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने की मांग पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इन सब के बीच आइए आपको बताते हैं कि भारत के अलावा और कौन से देश हैं, जो आवारा कुत्तों के आतंक से परेशान हैं। किस देश में सबसे अधिक रेबीज के कारण जा रही जान? बता दें कि साल 2024 में एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें, जिसमें पता चला कि किस देश के कितने लोग प्रतिवर्ष रेबीज के शिकार हो रहे हैं और अपनी जान गंवा रहे हैं। आईएचएमई द्वारा पिछले साल जारी इन आंकड़ों में बताया गया कि साल 2021 में रेबीज से सबसे अधिक मौतें भारत में हुईं। रेबीज के कारण 4023 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इसके बाद इथियोपिया का नंबर आता है, जहां पर 1043 लोगों की रेबीज संक्रमण के कारण जान गई। वहीं, तीसरे नंबर पर नाइजीरिया है जहां पर 909 लोगों की जान गई है। इसके बाद पाकिस्तान 614, चीन 604, नेपाल 479 और फिलीपिंस 250 के आंकड़ों के साथ क्रमशः चौथे, पांचवें, छठे और सातवें स्थान पर है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए निर्धारित धनराशि के उपयोग पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया है, तथा सुझाव दिया है कि इसे नगर पालिकाओं के बजाय सीधे विश्वसनीय पशु कल्याण संगठनों को दिया जाना चाहिए। एक्स पर एक पोस्ट में थरूर ने कहा कि चुनौती संसाधनों की कमी नहीं है, बल्कि स्थानीय निकायों की नसबंदी और आश्रय के प्रयासों को करने में अनिच्छा या असमर्थता है तब भी जब उन्हें आवश्यक धनराशि प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आवंटन अक्सर खर्च ही नहीं होते या जहाँ उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, वहाँ इस्तेमाल नहीं किए जाते। इसके बजाय, उन्होंने प्रस्ताव दिया कि यह धन उन गैर-सरकारी संगठनों और पशु कल्याण समूहों को दिया जाए जिनका आश्रय स्थल चलाने और पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम लागू करने का सिद्ध रिकॉर्ड हो। उनका तर्क था कि वे बेहतर परिणाम देने की स्थिति में हैं। थरूर ने सार्वजनिक सुरक्षा और कुत्तों के साथ मानवीय व्यवहार के बीच संतुलन बनाने के महत्व पर ज़ोर दिया और सुप्रीम कोर्ट के हालिया हस्तक्षेप को नगर निगम की निष्क्रियता पर समझ में आने वाली खीझ का नतीजा बताया। उनकी यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा 11 अगस्त को कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि को बेहद गंभीर स्थिति बताते हुए और दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द स्थायी रूप से स्थानांतरित करने के आदेश देने के बाद आई है। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने दिल्ली के अधिकारियों को छह से आठ हफ़्तों के भीतर लगभग 5,000 कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाने का भी निर्देश दिया, जिनका चरणबद्ध तरीके से विस्तार किया जाएगा। अदालत ने चेतावनी दी कि पुनर्वास अभियान में किसी भी तरह की बाधा डालने पर व्यक्तियों या संगठनों के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही हो सकती है।

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