-किया अंतिम लिखित नाटक चाक का मंचन
कोलकाता । लिटिल थेस्पियन ने अपने संस्थापक, निर्देशक और गुरु एस.एम. अज़हर आलम का जन्मदिन गत 17 अप्रैल 2025 को ज्ञान मंच में, उनके द्वारा लिखित उनका अंतिम नाटक चाक का मंचन करके मनाया | इस नाटक को उमा झुनझुनवाला ने डिज़ाइन और निर्देशित किया है। नाटक चाक 1971 में पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के दौरान भारतीय मुसलमानों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों और मुद्दों के बारे में है। नाटक एक प्रशंसनीय कृति है जो एक ऐसे मुस्लिम परिवार के संघर्षों को प्रदर्शित करती है जहां गफूर खान (पिता) अपनी विरासत में मिली पारिवारिक संपत्ति के लिए अंतहीन अदालती मुकदमों में उलझा हुआ है और अरशद (मध्यम बेटा) विभिन्न स्तरों पर क्रोध, दुख और चिंता के साथ भावनाओं का एक कैनवास दिखा रहा है। ज़ोहरा (मां), माजिद (सबसे बड़ा बेटा), और रज़िया (सबसे छोटी बेटी) के अपने-अपने आघात और कष्ट हैं। इस नाटक के लिए संगीत का डिज़ाइन संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार श्री मुरारी रायचौधरी द्वारा किया गया है और प्रकाश व्यवस्था जॉयदीप रॉय द्वारा की गयी । जिन अभिनेताओं ने पात्रों को मंच पर जीवंत बनाया उनका नाम इस प्रकार है: उमा झुनझुनवाला ज़ोहरा के रूप में, सागर सेनगुप्ता पिता ग़फूर ख़ान के रूप में, मो. आसिफ़ अंसारी अरशद के रूप में, मो. आफ़ताब आलम माजिद के रूप में, प्रियंका सिंह रज़िया के रूप में, इंतेखाब वारसी मुतावल्ली के रूप में, विशाल कुमार राउत बाबुल/ आदमी -1 के रूप में और एकर्षी चौधरी जोकर/ आदमी-2 के रूप में। यह उल्लेखनीय है कि अपने छोटे से जीवनकाल में, अज़हर आलम ने हिंदी और उर्दू रंगमंच दोनों के विकास के लिए विशाल कार्य किए थे और विशेष रूप से देश भर में उर्दू रंगमंच के मानकों को ऊंचा उठाया था, कोलकाता को इसके मुख्य केंद्रों में से एक बनाया था। एक नाटककार के रूप में उन्होंने 5 नाटक लिखे और 4 नाटकों को रूपांतरित/अनुवादित किया। वह हमेशा एक महान कहानीकार थे और लेखन में उनकी अच्छी पकड़ थी। उनकी नाटककार के रूप में सफलता का श्रेय उनके चतुर कथानक, विश्वसनीय चरित्र चित्रण, अभिनय और थीम विकसित करने की क्षमता को दिया जा सकता है।