एजुकेशन कॉन्क्लेव 2024 दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न

– भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज और इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंपनी सेक्रेट्रीस ऑफ़ इंडिया भारतीय संस्थान का संयुक्त आयोजन
कोलकाता । वैश्विक और भारतीय शिक्षाविदों, प्रिंसिपल, औद्योगिक संस्थान के प्रमुख, विभिन्न कॉर्पोरेट के प्रमुख, कोलकाता के प्रमुख कॉलेजों के छात्र छात्राओं ने दो दिवसीय एजुकेशन कॉन्क्लेव 2024 में भाग लिया। एजुकेशन कॉन्क्लेव में देश विदेश के कई शिक्षाविदों ने अपने महत्वपूर्ण विचारों को व्यक्त करते हुए नई शिक्षा नीति और समानांतर अपने-अपने शिक्षण संस्थानों, फैकल्टी और विद्यार्थियों को समृद्ध बनाने के लिए कई प्रकार के प्रशिक्षणों को लेकर बातचीत की एवं सुझावों को साझा किया। दो दिवसीय 29-30 नवंबर को होने वाले इस कॉन्क्लेव में राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार माननीय मंत्री राज्य शिक्षा मंत्री भारत सरकार ने अपने अॉन-लाइन वक्तव्य से सभी गणमान्य अतिथियों को शुभकामनाएँ दी और कहा कि बदलते वक्त में नई शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षक शिक्षिकाओं और विद्यार्थियों दोनों को ही नई तकनीक में प्रशिक्षित करना है और भविष्य में समय के साथ विकसित भारत के सपने पूरे हों, स्कील और रोजगार के साधन बने। साथ ही नेतृत्व, नजरिया और सोच में बदलाव आए। भवानीपुर कॉलेज और आईसीएसआई द्वारा आयोजित एजुकेशन कॉन्क्लेव की सफलता के लिए माननीय डॉ सुकांत मजूमदार ने शुभकामनाएँ दी। यह कार्यक्रम न्यूटाउन स्थित सीसीजीआरटी कोलकाता कैम्पस में किया गया। उद्घाटन सत्र समारोह में विशिष्ट अतिथियों में भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के डायरेक्टर जनरल डॉ सुमन मुखर्जी , रेक्टर और डीन प्रो दिलीप शाह, सीएस सेंट्रल कौंसिल मेंबर, आईसीएसआई रूपांजना दे, सीएस चेयर मैन ऑफ आईसी एस आई , ईआईआरसी मोहित शॉ, भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज प्रातःकालीन कॉमर्स सेक्शन की कोआर्डिनेटर और कार्यक्रम की संयोजक प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी, कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से विदूषी प्रो राज्यश्री शुक्ला, भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के टीआईसी डॉ शुभव्रत गंगोपाध्याय ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर भारतीय कंपनी सचिव संस्थान और
भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज दोनों संस्थान के पीपीटी वीडियो दिखाए गए जिसमें उनकी गतिविधियों का परिचय मिला। डायरेक्टर जनरल प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और कार्यक्रम के संचालक डॉ सुमन मुखर्जी ने ‘एनईपी 2020 का आलोचनात्मक आकलन’ विषय पर अपनी बात रखी। नई शिक्षा नीति पर बात करते हुए शिक्षा की नींव पर अपनी गंभीर बातें साझा की साथ ही विश्व के बदलते परिवेश में एजूकेशन लर्निंग में आ रहे तेजी से बदलाव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जो बहुत बड़ी चुनौती है, बात की। उन्होंने कहा कि अपने पाठ्यक्रम में ऐसे शामिल करने की आवश्यकता है।
भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के रेक्टर और डीन प्रो दिलीप शाह ने बीज वक्तव्य में बताया कि सभी विद्यार्थियों और शिक्षक शिक्षिकाओं को भविष्य के लिए अधिक चिंता करनी है। क्या नया आ रहा है। नई शिक्षा नीति पर बहुत से काम हो रहे हैं। दो दिनों तक चलने वाले एजुकेशन कॉन्क्लेव में शिक्षा नीति के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विद्वान अपनी महत्वपूर्ण बात रखेगें। इसके अलावा प्रो शाह ने कलकत्ता विश्वविद्यालय एकेडमी वर्ल्ड और प्रोफेशनल्स के अंतर पर चर्चा की । स्कील के विषय में बात की। कारपोरेट्स और एकेडमी के साथ मिलकर युवा पीढ़ी को शिक्षा के साथ उद्योग को कैसे जोड़ा जाए इस पर विचार व्यक्त किया और बताया कि इसके लिए हमने मर्चेंट अॉफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ कार्यक्रम किया है। साथ ही दो दिवसीय सम्मेलन में हम देश विदेश के विभिन्न शिक्षाविदों और कॉर्पोरेट के साथ मिलकर एक नई राह भी तलाशेंगे। शिक्षा का प्रारूप बदल रहा है, आज इंडस्ट्री खुद कॉलेज में आते हैं, आज फाइनेंशियल मॉडलिंग का एडू स्पेस बदल रहा है। इन्टरनेट में प्रामाणिकता नहीं है। सब कुछ मिल रहा है लेकिन एथिकल वैल्यू कहाँ है? इसलिए स्कील अधिक महत्वपूर्ण है और स्कील के लिए ज्ञान जरूरी है। कौशल-आधारित ज्ञान अधिक से अधिक हो और रोजगार परक सोच विकसित हो, यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है।
चैयरमेन आईएसीसी आई, ईआईआर सी सीएस मोहित शॉ ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव आ रहा है। किसी भी देश का विकास शिक्षा से ही हो सकता है। शॉ ने एक कहानी के माध्यम से कहा कि एजुकेटर एक आर्टिस्ट होता है। सीएस रूपांजना दे ने अपने बीज भाषण में एकेडमी और कार्पोरेट दोनों पक्षों पर बात की। विश्व के विभिन्न देशों में भाषा के महत्व और अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया। अकादमी और कंपनी सेक्रेट्रीस को बताया।
कलकत्ता विश्वविद्यालय की हिंदी साहित्यविद् डॉ राज्यश्री शुक्ला ने अपने बीज वक्तव्य में मेधा की आवश्यकता पर बल दिया । प्रथम सेशन का विषय क्रिटिकल इवोल्यूशन ऑफ एनीपी 2020 जिसके मॉडरेटर डॉ सुमन मुखर्जी रहे। कार्यक्रम की संयोजक प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया ।
सत्र 2-‘छात्रों के लिए परिवर्तन और बेहतरी के दृष्टिकोण के लिए कुछ सुझाव’विषय पर विद्वानों ने विचार व्यक्त किए। डॉ जी. बालासुब्रमण्यम, सीबीएसई के पूर्व निदेशक अकादमिक
डीपीके मोहंती. दास स्कूल ऑफ कॉमर्स, एक्सआईएम यूनिवर्सिटी और प्रोफेसर दिलीप शाह ने गतिविधियों पर चर्चा की। प्रमुख अतिथि वक्ताओं में डॉ शेफाली नागपाल, डायरेक्टर, यूजीसी, ह्युमन रिसोर्स डेवलपमेंट सेंटर, बीपीएस महिला विश्वविद्यालय ने अपनी बात रखते हुए बताया कि किस प्रकार हरियाणा के गांव की लड़कियों को रोजगार परक शिक्षा प्रदान करने के लिए उनका विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है।
डॉ जी बालासुब्रमनियम ने कहा कि नई शिक्षा नीति का स्वरूप स्वाध्याय , आत्म विश्लेषण, आत्म निर्देशित शिक्षा है। सीखने की संस्कृति है। शिक्षण को सीखने की आवश्यकता है और यह शिक्षा नीति कई विषयों को सीखने का ब्लेंडर मॉडल है।
सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने वाली है। शिक्षा की ब्रांडिंग बदल रही है। शिक्षक को सीखना होगा। स्व विश्लेषण परक शिक्षा हैं, जो नीति की आत्मा है । यूजीसी-मानव संसाधन विकास केंद्र, बीपीएस महिला विश्वविद्लव डॉ शेफाली नागपाल ने गुरुकुल से अब तक की शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए रोजगार परक शिक्षा आज की आवश्यकता है। । डीन स्कूल ऑफ कॉमर्स एक्स आई एम युनिवर्सिटी डॉ पी. के. मोहंती ने एनईपी 2020 ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लाभ और हानि पर शिक्षा नीति पर चर्चा की। इस कार्यक्रम का संचालन भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज की कॉमर्स विभाग की प्रो उर्वी शुक्ला ने किया।
सत्र 2-‘छात्रों के लिए बदलते दृष्टिकोण और बेहतरी के लिए कुछ इनपुट।’ विषय का संचालन श्री जय शंकर द्वारा किया गया। वक्ताओं में प्रोफेसर शबीना ओमर , अंग्रेजी विभागाध्यक्ष ए जे सी बोस कॉलेज, सीए अमर अग्रवाला, प्रैक्टिसिंग चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सचिव ने अपने महत्वपूर्ण विचारों को व्यक्त किया ।
तृतीय सत्र के संचालक श्री परनब मुखर्जी रहे जिसका विषय’भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में सर्वोत्तम प्रथाएँ’ रहा जिसमें डॉ संकू बोस, सीईओ टेक्नो इंडिया ग्रुप, डॉ हेमा दिवान, एसोसिएशन प्रो आईआईएम, मुंबई, वीसी प्रो डॉ निर्मल कांति चक्रवर्ती डब्ल्यूबीएनयूएस, सिस्टर निर्मला प्रिंसिपल लोरेटो कॉलेज कोलकाता ने अपने महत्वपूर्ण विचारों को व्यक्त किया ।रात्रि भोज के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
एजूकेशन कॉन्क्लेव के द्वितीय दिन चाय नाश्ते के पश्चात 30 नवंबर को पैनल डिस्कशन में विषय सत्र में ‘कौशल बढ़ाना’ विषय पर एनएसआईयूएम की डॉ. सुपर्णा धर द्वारा संचालित कार्यक्रम में श्री गोपाल शर्मा, सीएफओ नैसकॉम/भारत में श्री सचिन शर्मा एसोसिएट डायरेक्टर-केपीएमजी/सीए विकास गंगवाल ने अपनी बात रखी। सत्र 2-‘आगे की ओर बढ़ते ज्ञान’ विषय पर प्रो. दिलीप शाह द्वारा संचालित कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं में डॉ. प्रोफेसर आरती श्रीवास्तव, शिक्षा विभाग में प्रोफेसर, एनआईईपीए, नई दिल्ली, सीएस विनोद कोठारी/दे विशाल तलवार, निदेशक आईएमटी घरियाहड़/डॉ अजय पाठक, आईसीईएआई कोलकाता और डॉ. संजीव कुमार पांडे, सहायक निदेशक और समन्वयक, यूजीसी-मालवीय मिशन-शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, मप्र ने अपने वक्तव्य से सभी को समृद्ध किया। दोपहर के भोजनावकाश के पश्चात
सत्र 3 का विषय ‘सर्वोत्तम प्रथाएँ-विश्व स्तर पर ‘श्री परनब मुखर्जी द्वारा संचालित किया गया जिसमें अॉन-लाइन विदेशों से कई विद्वानों ने भाग लिया और शिक्षण प्रशिक्षण और वर्तमान समय में शिक्षा में आए परिवर्तन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। श्रीमान डेविड पॉटर, कोर्स लीडर, बीएससी (ऑनर्स) बिजनेस कोर्स, फालमाउथ यूनिवर्सिटी (यूके)/, किम लिन टैन , डॉ. जहीरुल हक (वीसी, कैनेडियन यूनिवर्सिटी ऑफ बांग्लादेश)/ आदि ने विभिन्न देशों के विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ इंटर्नशिप अॉन-लाइन कोर्सेज, सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य, शिक्षक डेवलपमेंट और इतर विषयों को लेकर बातचीत की । प्रश्नोत्तरी सेशन भी हुए जिसमें संतोष जनक उत्तर भी मिले। प्रो विवेक पटवारी ने प्रथम सत्र का संचालन किया। तृतीय सत्र का संचालन डॉ श्रेयसी घोष ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दिया प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी और सभी अतिथि वक्ताओं को सम्मानित किया प्रो दिलीप शाह और प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी ने।
दो दिवसीय एजुकेशन में आए विद्वानों ने यह स्वीकार किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य में किस तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराएगा और उसका प्रभाव भारत और वैश्विक स्तर पर किस प्रकार पड़ेगा, यह शोचनीय है और इसके लिए औद्योगिक कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों में अधिक से अधिक आपसी साझेदारी संबंध का होना आवश्यक है। छात्रों के लिए परिवर्तन और बेहतरी के दृष्टिकोण पर व्यापक रूप से चर्चा की गई। एक साथ बहुत सारे विषयों को कौन पढाएगा जैसी समस्याओं पर भी विचार विमर्श किया गया। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में प्रो चंदन झा, प्रो श्रेयसी घोष, प्रो दर्शना त्रिवेदी, प्रो विवेक पटवारी, प्रो उर्वी शुक्ला, डॉ वसुंधरा मिश्र आदि की उपस्थिति रही। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि उद्घाटन सत्र में कॉलेज के विद्यार्थियों ने शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति दी और दोनों दिन बाहर से आने वाले अतिथियों के रहने की व्यवस्था, चाय नाश्ते और भोजन की व्यवस्था की गई थी।

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