Monday, April 21, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]

वाणी प्रवाह 2024 – रचनात्मक लेखन (काव्य)

जिंदा प्रेत
-अजीत कुमार साव
रात काली, बादल भी काली,
झर- झराने वाली थी ।
उससे पहले हम दोनों,
एक दूसरे पर झर झरा बैठे
उनका सुझाव को,
मैं अपना अपमान समझ बैठा,
दुर्योधन बन, बादल से भी,
 तेज गरज बैठा
वे गिरधारी बने, शांति से समझाते रहे।
मैं तो ठहरा दुर्योधन, कहां समझने वाला था।
गर गर गर गर गरजे जा रहा था,
सारी सीमाओं को लाघे जा रहा था
तब गिरधारी ,सुदर्शनधारी बन
यथार्थ गीत सुनाने लगे
अपना दिव्य रूप दिखाने लगे
उनकी दिव्य प्रकाश से अंधकार भी छटने लगा।
भूत, वर्तमान भविष्य
सब एक क्षण  में देख लिया
पूरा ब्रह्मांड एक क्षण में घूम लिया
कुछ भी सत्य बचा नहीं।
बादल फटा, दुर्योधन से मैं बना
वे भी भौकाल रूप त्यागे,
आंखें नम थी, चेहरा लाल था
मेरे वाणी के वान से, उनका ह्रदय कैहरा रहा था।
यह देख मेरा हृदय चीख उठा
आत्मा चीख चीख कर,
मेरा अपराध गिनाने लगी,
मुझे उनका स्मरण कराने लगी।
आंखें खुली थी फिर भी,
 स्मृतियों का स्वप्न चलने लगी।
क्षमा मांगने का भाव उठा
पर हिम्मत न हुई।
सूरज उठी ,पृथ्वी प्रकाश से जगमगाई।
पर आंखें देखने को तैयार ही नहीं थी
टूटक टूटक  कर बाते हुई,
 पर नजरें चुरा चुरा कर
आंखें अब नहीं मिलती,
 सर अब नहीं उठता
ह्रदय और मन की व्याकुलता
अब जीने नहीं देती
जिन्होंने मुझे जीना सिखाया,
 मैं उन्हीं को बातों से मारा।
अब जिंदा प्रेत बना बैठा हूं
क्योंकि जीना बताने वाले को,  मैं मार दिया।
मुझे लगा, मैं अकेला जिंदा प्रेत हूं
पर नहीं,
सो नहीं, लाख नहीं, करोड़ों है।
मैं तो इस दुनिया में बेहद तुच्छ हूं
जीना सिखाने वाले को,
मैं अकेला, मारने वाला नहीं हूं
मैं अकेला, जिंदा प्रीत नहीं हूं
पृथ्वी तो मनुष्य से ज्यादा, प्रेत से ही भरी पड़ी है।
…………………..
नीतिराज
मैंने जाना आज एक शब्द ‘ नीतिराज ‘
राजनीति का मुखौटा ओढ़े करता सब पर राज
नेता मंत्री सब हो रहे मालामाल ,
नीतिराज को अपना
 नीतिराज से त्रस्त हुए, जनता करती त्राहिमाम – त्राहिमाम
मान मर्यादा सब बाजार में,
 गौरव भी कतार में
लग रही बोलियां स्वाभिमान की,
बिक रही संस्कृति परंपरा
साथ में मुफ्त में भाषा,
नीति के राज में
हिंसा इसकी सोच है
विनाश इसकी प्रवृत्ति है
मनुष्यता इसकी दुश्मन है
अराजकता इसकी मित्र है
तभी तो हर राक्षस का मूल मंत्र है ‘ नीतिराज’
ये राजनीति का मुखौटा ओढ़े नीतिराज का राज है
शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

शुभजिताhttps://www.shubhjita.com/
शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।
Latest news
Related news