साहित्य व संस्कृति के रंग से सजी मुंशी प्रेमचंद जयंती

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयंती देश भर में उत्साह के साथ मनाई गयी। बंगाल में कई शिक्षण संस्थानों एवं संगठनों के साथ संस्थाओं ने कई कार्यक्रम आयोजित किए। प्रस्तुत है कुछ कार्यक्रमों की झलक –
प्रेमचंद भारत को जानने की खिड़की हैं:शंभुनाथ
कोलकाता। भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से प्रेमचंद जयंती के अवसर ‘प्रेमचंद और आज का विश्व’ विषय पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ. शम्भुनाथ ने कहा कि प्रेमचंद भारत को जानने की खिड़की हैं। उनका कथा साहित्य भारतीय आत्मा की खोज है जो संकुचित राष्ट्रवाद के वर्तमान युग में भी मानवतावादी प्रेरणा देता है। रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के प्रो. हितेंद्र पटेल ने कहा कि प्रेमचंद ने 1919 से 1936 के बीच की अपनी साहित्यिक यात्रा में उस युग का ऐतिहासिक यथार्थ चित्रित किया है। किसान को साहित्य के केंद्र में रखकर उन्होंने अपने समय का सबसे क्रांतिकारी कार्य किया है। यांत्रिक संस्कृति के मुकाबले में साहित्यिक संस्कृति के निर्माण के क्रम में उनकी भूमिका ऐतिहासिक है।विश्वभारती, शांतिनिकेतन के प्रो. राहुल सिंह ने कहा कि प्रेमचंद की  वैचारिक और रचनात्मक यात्रा में एक बदलाव दिखता है।वे जहाँ से लेखन शुरू किये थे उससे बिलकुल अलग जगह ले जाकर खत्म करते हैं।  प्रेमचंद का अंतिम चरण (1930-31) सबसे महत्वपूर्ण है। अपने तमाम सुधारवादी रास्तों को जिनकी वकालत वे अपनी शुरुआती रचना में करते हैं, खुद उसे खारिज कर देते हैं।इस संदर्भ में एक मोहभंग भी देखने को मिलता है। कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रो. राजश्री शुक्ला ने कहा कि प्रेमचंद का व्यक्तित्व उदार था, जिसमें विपरीत विचारधारा वाले साहित्यकारों के महत्व का स्वीकार भी था। उनका लेखन आज भी इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि इनके शब्दों के पीछे आंतरिक ईमानदारी थी। डॉ. रामप्रवेश रजक ने कहा कि प्रेमचंद जब लिख रहे थे तब देश को आजादी नहीं मिली थी। उनके लिखने का उद्देश्य स्वराज प्राप्ति था। युवा आलोचक डॉ. इतु सिंह ने कहा कि प्रेमचंद के संपादकीय लेखों में भारत के उस दौर के राजनीतिक इतिहास का ही नहीं विश्व के राजनीतिक परिदृश्य का विश्वसनीय ब्यौरा मिलता है।  प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि प्रेमचंद आज भी हमारे सबसे समर्थ भाषा शिक्षक हैं। उनका साहित्य पुनर्निर्माण का साहित्य है। वे हमें मानसिक दासता और साम्प्रदायिकता के खिलाफ सचेत करते हैं तथा महाजनी सभ्यता अर्थात्‌ पूंजीवाद के खतरों से आगाह करते हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए मृत्युंजय श्रीवास्तव ने कहा कि दुनिया में जैसे जैसे दुर्दिन गहरा होता जाएगा, प्रेमचंद अधिक काम के सिद्ध होते जाएंगे। प्रेमचंद वह एक ऊंचा टीला हैं जिस पर खड़े होकर दुनिया को स्कैन किया जा सकता है। इस अवसर पर कलकत्ता विश्वविद्यालय से पूजा गुप्ता, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय से बृजेश प्रसाद, कल्याणी विश्वविद्यालय से पवन कुमार, सेंट जेवियर्स से रेशमी सेन शर्मा, विद्यासागर विश्वविद्यालय से रूपेश कुमार यादव और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से कंचन भगत ने आलेख पाठ किया। इसके अलावा संस्कृति नाट्य मंच द्वारा प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ पर आधारित नाटक का मंचन हुआ।प्रो.संजय जायसवाल ने कहा प्रेमचंद ने सांप्रदायिक ताकतों को चिह्नित करते हुए उनसे बचने का संदेश दिया है।आज के धार्मिक पाखंड और अंधविश्वास के इस दौर में प्रेमचंद की रचनाएं भरोसे की जमीन हैं।मिशन के संरक्षक श्री रामनिवास द्विवेदी ने कहा संस्कृतिकर्मियों की यह प्रस्तुति प्रासंगिक है।यह मंचन आदमियत का आख्यान है।इस अवसर पर प्रो. अमित राय,कवि राज्यवर्धन, प्रो.चित्रा माली,राकेश सिंह, प्रो.एकता हेला,प्रो.मंटू दास,शिक्षक गोविंद चौधरी, अमरजीत पंडित, प्रो.विनय मिश्र, प्रो.संजय राय,संजय दास,उमा डगवान, रवि अग्रहरि,प्रो.नवोनीता दास ,शुभम पांडे,सुषमा कुमारी, ज्योति चौरसिया, सपना खरवार, अनुराधा महतो,स्वीटी महतो  सहित बड़ी संख्या में साहित्य एवं कला प्रेमी उपस्थित थे।डॉ कुसुम खेमानी ने अपनी शुभकामनाएं दी।कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो. लिली शाह एवं धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती विमला पोद्दार ने किया।
…………………
गरीफा मैत्रेय ग्रंथागार व ‘पड़ाव’ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ने मनायी प्रेमचंद जयंती
नैहट्टी, उत्तर चौबीस परगना। गत 30 जुलाई मंगलवार को संध्या 4.30 बजे प्रेमचंद-जयंती की पूर्व संध्या पर गरीफा मैत्रेय ग्रंथागार व ‘पड़ाव’ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में एक अंतरंग संगोष्ठी का आयोजन किया गया । संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री, कथाकारा, आलोचक, समाजसेवी एवं संपादक डॉ. इंदु सिंह द्वारा किया गया। संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित रहें पश्चिम बंग राज्य विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार एवं वक्ता के रूप में उपस्थित रहें बैरकपुर राष्ट्रगुरु सुरेंद्रनाथ कॉलेज, हिंदी विभाग के डॉ. बिक्रम कुमार साव। संगोष्ठी का आरंभ प्रेमचंद के छायाचित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित करके किया गया। इसके बाद टीटागढ़ एंगलो वर्नाकुलर हाई स्कूल उच्च माध्यमिक के शिक्षक पप्पू रजक द्वारा प्रेमचंद की कहानी ‘गिल्ली-डंडा’ की एकल नाट्य वाचन प्रस्तुत किया गया। संगोष्ठी सत्र में ‘प्रेमचंद की रचनाओं का लोकपक्ष’ विषय पर अपनी बात रखते हुए डॉ. बिक्रम कुमार साव ने प्रेमचंद के रचनाओं का मूल्यांकन साहित्य की सांख्यिकी के आधार पर किया और बताया की किस प्रकार से प्रेमचंद अपनी रचनाओं में एक रचनात्मक समीकरण तैयार करते हैं। उनके रचनाओं का लोकपक्ष बहुत ही मजबूत है और वे मानवीय संबंधों और संवेदनाओं के गणित के गणितज्ञ हैं।उनकी रचनाएं हमें संवेदनशील बनाती है और यह संवेदनशीलता ही लोकपक्ष है। समाज से, मानव से, मानवेत्तर प्राणियों से, किसान से, मजदूर से, गांव से, जमीन से, मानवीय संबंधों, व्यापारों, व्यवहारों से जुड़ना, उन्हें समझना, पाठकों को उनके प्रति संवेदनशील बना देना ही प्रेमचंद की रचनाओं के लोकपक्ष का मूल उद्देश्य है। संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता पश्चिम बंग राज्य विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार ने  प्रेमचंद के साहित्य में लोकतत्व पर अपनी बात रखते हुए शास्त्र और लोक में अंतर स्पष्ट करते हुए लोक पक्ष की सरलता को व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद सबसे अधिक पढ़ें जाने वाले साहित्यकार हैं जिन्हें अन्य भाषाओं में भी उतना ही पढ़ा जाता है जितना हिन्दी साहित्य में और यह पठनीयता उनके लोकपक्ष के कारण ही संभव है। प्रेमचंद का लोक उनका गांव है। गांव अथवा ग्राम संस्कृति ही मूलतः लोक संस्कृति है। जिसमें अभी भी इमानदारी, जीवंतता और सच्चापन है जो हमें जीवन के तमाम मूल्यों को गहन दृष्टि से देखने की समझ देती है। संगोष्ठी के अध्यक्षीय भाषण में वरिष्ठ कवयित्री, कथाकारा, आलोचक, समाजसेवी एवं संपादक डॉ. इंदु सिंह ने लोक पक्ष क्या है? स्पष्ट करते हुए कहा कि कहानीकार व रचनाकार जो भी लिखता है वह अपने आस-पास के वातावरण, परिवेश के घेरे से अनुभव को लिखता है। उसका वह आयतन ही लोक है। कोई भी रचनाकार अपनी समाज से कट कर नहीं लिख सकता। प्रेमचंद का समाज अथवा लोक किसान, मजदूर, परित्यक्त नारी, शोषित समाज है। इसके हरेक पात्र पूरे लोक का प्रतिनिधित्व करने वाली होती है। धनिया हो या निर्मला सभी अपने पूरे समाज को साथ लिए चलती है। यह उनकी विशेषता है। प्रेमचंद को पढ़ कर भी ऐसा लगता है कि अभी कुछ नहीं पढ़ा है हर बार उनकी कृति हमें नयी सीख देती है। यह नयापन लोकतत्व ही ला सकता है। इस अवसर पर प्रसिद्ध विश्व यात्रा- वृतांत लेखिका एवं कथाकारा माला वर्मा की नवीनतम कहानी-संग्रह ‘हम दोनों’ का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम में शिक्षक डॉ. कार्तिक कुमार साव, शिक्षक सुभाष कुमार साव, शिक्षक विजय चौधरी, विदिप्ता, नैंसी पाण्डेय, हर्ष साव, शुभम साव, चेतन दास, सोंटु चौधरी, रितेश सिंह, पूजा मिश्रा, अफसाना खातून, सुजल चौधरी सहित अन्य महाविद्यालय व विश्वविद्यालय के विद्यार्थीगण उपस्थित रहें। कार्यक्रम का सफल संचालन सावनी कुमारी राम और धन्यवाद ज्ञापन रूद्रकान्त ने किया।
विद्यासागर विश्वविद्यालय में प्रेमचंद जयंती का आयोजन
मिदनापुर . विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा प्रेमचंद जयंती पर “प्रेमचंद और आज का भारत” विषय पर परिचर्चा एवं अंतर महाविद्यालय हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता एवं आशु भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। स्वागत वक्तव्य देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कु. प्रसाद ने कहा आज मनुष्य-मनुष्य में बँटवारा हो रहा है ऐसे में प्रेमचंद हमारे समक्ष मनुष्यता को चुनने का प्रस्ताव लेकर आते हैं। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो. दामोदर मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद को मुख्यतः उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्धि  मिली जिसके चलते उनका कथेतर साहित्य दब गया है ।प्रेमचंद का लेखन महज आदर्श और यथार्थ का मामला नहीं है बल्कि संवेदनशीलता का भी है। डॉ. पंकज साहा ने कहा प्रेमचंद मानवतावादी कथाकार हैं । उनकी पहली कहानी से अंतिम कहानी तक इसी मानवता के दर्शन मिलते हैं । अतिथि खड़गपुर कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय पासवान ने कहा भारत की रीढ़ (किसानों) को तोड़ने की व्यवस्था लगातार जारी है और प्रेमचंद ऐसी व्यवस्था को ख़ारिज करने वाले साहित्यकार हैं। मिदनापुर कॉलेज के डॉ रंजीत सिन्हा ने कहा प्रेमचंद ने जिस तरह आम जनता (जनमानस) को अपने साहित्य में स्थान दिया है वह साहित्य के क्षेत्र में महत्पूर्ण घटना है। राजा नरेन्द्र लाल खान वुमेन कॉलेज की डॉ. रेणु गुप्ता ने कहा भारतीय परम्परा का समर्थन करते हुए उसमें निहित बुराइयों का विरोध करना प्रेमचंद कहीं नहीं भूलते, उनकी दूरदर्शिता आज के समय में जितनी समीचीन है उतनी वह भविष्य के लिए भी सिद्ध होगी। डॉ. संजय जायसवाल ने कहा आज के बुनियादी प्रश्नों को समझने के लिए प्रेमचंद के भारत को जानना होगा। परम्परा के साथ-साथ न्याय को जोड़ने की लड़ाई है प्रेमचंद का साहित्य।इस अवसर पर  क्विज प्रतियोगिता में पहला स्थान विद्यासागर विश्वविद्यालय की लक्ष्मी यादव,सृष्टि गोस्वामी एवं विशाल यादव को दूसरा स्थान राजा नरेंद्र लाल खान कॉलेज की सरस्वती कुमारी, सुहानी मिश्रा एवं ज्योति कुमारी को एवं तीसरा नेहा शर्मा, नीशू कुमारी एवं सत्यम पटेल को मिला।आशु भाषण का पहला स्थान नेहा शर्मा दूसरा बुसरा सनवर एवं तीसरा स्थान संयुक्त रूप से लक्ष्मी यादव और सरस्वती कुमारी को मिला।इस अवसर पर विभाग की शोधार्थी उस्मिता गौड़, सोनम सिंह सहित विभिन्न कॉलेजों से आए विद्यार्थियों ने प्रेमचंद के साहित्य पर विचार रखा।कार्यक्रम का संयोजन विभाग की  शोधार्थी सुषमा कुमारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन देते हुए डॉ श्रीकांत द्विवेदी ने कहा कि प्रेमचंद भारतीय समाज के प्रतिनिधि लेखक हैं।उनके पात्र लोक की आवाज हैं।
आज भी सबसे अधिक पढ़े जाने वाले लेखक हैं प्रेमचंद-डॉ. अमरनाथ शर्मा
 कोलकाता । कोलकाता के प्रसिद्ध कॉलेज खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज के  हिंदी विभाग की ओर से प्रेमचंद स्मृति व्याख्यानमाला के अवसर पर ‘प्रेमचंद को कैसे पढ़ें’ विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। स्वागत वक्तव्य देते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ मोहम्मद अफसर अली ने कहा कि वर्तमान युग तकनीक का युग है। इस तकनीक युग की वजह से लोगों के भीतर मानवता खत्म होती जा रही है। ऐसे समय में प्रेमचंद को याद करना बेहद जरूरी है।
विषय का प्रवर्तन करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में सभी विमर्श मिलते हैं। उनकी रचनाओं को छोड़कर कोई भी विमर्श शुरू नहीं किया जा सकता है।
इस अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे कोलकाता विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष प्रो. अमरनाथ शर्मा। उन्होंने प्रेमचंद को पढ़ने की विभिन्न दृष्टियों का हवाला देते हुए कहा कि प्रेमचंद को समझने के लिए उनके समय को समझना होगा तभी उनकी रचनाओं के सही संदर्भ को समझा जा सकता है। प्रेमचंद ने जो लिखा है वो अपने समय के आगे का भी है। उनकी भाषा आम जनता की भाषा है।आज के समय में भी सबसे अधिक पढ़े जाने वाले लेखक हैं प्रेमचंद। डॉ. मधु सिंह ने कहा कि प्रेमचंद का लेखन भारतीयता का आख्यान है। वे औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ स्वराज और सामाजिक स्तर पर सुराज की बात करते हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए विभाग के शिक्षक राहुल गौड़ ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं से गुजरते हुए हम समाज के प्रत्येक वर्ग से रूबरू हो सकते हैं। धन्यवाद ज्ञापन देते हुए इतिहास विभाग की प्रो. अनामिका नंदी ने कहा कि प्रेमचंद को सिर्फ इसलिए नहीं पढ़ना चाहिए कि वे सिलेबस में हैं बल्कि पाठ्यक्रम के अतिरिक्त और भी रचनाओं को पढ़ना चाहिए।उनकी रचनाओं  से हम जीवन और समाज को समझ सकते हैं।इस मौके पर प्रो. विष्णु सिकदर, प्रो. सुब्रत मल्लिक,प्रो. सिउली विश्वास, प्रो. शर्मिष्ठा मुखर्जी, पुनीता प्रसाद,अमित कौर सहित कॉलेज के विद्यार्थी उपस्थित थे।
प्रेमचंद की रचनाएं एंटीडांट हैं :  डॉ. विक्रम कुमार साव
नैहाटी/गौरीपुर अंचल की सामाजिक संस्था न्यू कल्याण संघ के तत्वाधान में प्रेमचंद जयंती मनाई गई।  कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीपक प्रज्वलित करके किया गया।कार्यक्रम में एंड्रयूज हाई स्कूल के अध्यापक श्री सुभाष साव ने प्रेमचंद की रचनाओं के महत्व को बताते हुए कहा की वर्तमान पीढ़ी के छात्रों के लिए प्रेमचंद की कहानियां बहुत उपयोगी हैं।ये कहानियां विद्यार्थियों के मनोरंजन के साथ-साथ उन्हें नैतिक शिक्षा की तरफ उन्मुख करती है। जगद्दल श्री हरि उच्च विद्यालय के अध्यापक डॉ. कार्तिक कुमार साव ने प्रेमचंद की रचनाओं में वर्णित समस्याओं को वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिक बताते हुए अंचल विशेष की समस्याओं को उजागर करते हुए उन समस्याओं पर चिंता व्यक्त किया और प्रशासन एवं प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया।एंग्लो वर्नाकुलर हाई स्कूल उच्च माध्यमिक के अध्यापक श्री पप्पू रजक ने प्रेमचंद के निबंधों का जिक्र करते हुए महाजनी सभ्यता के परिवर्तित रूप को व्याख्यायित किया। गौरीपुर हिंदी हाई स्कूल के अध्यापक श्री राजकुमार साव ने शिक्षा व्यवस्था की दुर्गति का पर्दाफाश करते हुए बताया कि हमे प्रेमचंद के साहित्य में उपस्थित शिक्षा संबंधी विचारों को  क्रियान्वित करना होगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता बैरकपुर राष्ट्रगुरु सुरेंद्रनाथ कॉलेज, हिंदी विभाग के डॉ. बिक्रम कुमार साव ने कहा की प्रेमचंद की रचनाएं विषहर औषधीय गुणों से संपन्न हैं। जो मनुष्य के भीतर की कलुषता, ईर्ष्या, द्वैष, अहंकार, घमंड, बड़बोलापन, चुगलखोरी,बेईमानी जैसी बीमारियों को दूर करती हैं। हृदयगत भावनाओं और व्यापारों के संक्रमण के उपचार में  उनकी रचनाएं एंटीबायोटिक की तरह काम करती हैं। उनकी रचनाएं हमारे हिंदी साहित्य जगत की ही नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं के साहित्य जगत के साथ विश्व साहित्य जगत की एक बड़ी उपलब्धि है।
कार्यक्रम में , काउंसलर आरती देवी माल्लाह, श्री सत्य प्रकाश दुबे, शिक्षक श्याम राजक ,शिक्षक दिनेश दास, शिक्षक चंदन भाई, शिक्षक लालटू साव के साथ संस्था के सदस्य गण उपस्थित रहें।कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के संयोजक श्री रामचंद्र मल्लाह ने सभी वक्ताओं और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।
नैहाटी में प्रेमचंद जयंती का आयोजन
 ‌नैहाटी । नैहाटी कल्चरल सोसायटी द्वारा मुंशी प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन नैहाटी के बंकिम पाठागार में किया गया। इस अवसर पर परिचर्चा के साथ मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित  किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में नैहाटी नगरपालिका के महापौर श्री अशोक चटर्जी,उप पौरप्रधान श्री भजन मुखर्जी, सीआईसी श्री कनाईलाल आचार्य एवं पार्षद श्री राजेश साव उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मुंशी प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। शुभकामना संदेश देते हुए श्री अशोक चटर्जी ने कहा कि साहित्य को पढ़ना समाज को जागरूक करना है। प्रो.एन चंद्रा राव ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की कहानियों को नये तरीके से पढ़ने की जरूरत है। डॉ.कमल कुमार ने कहा कि विश्व साहित्य में प्रेमचंद का महत्त्व युगांतरकारी है। प्रेमचंद ने उर्दू में लिखना शुरू किया और फिर हिंदी में लिखने लगे। शुरुआती दौर में प्रेमचंद के लेखन पर पुरानी किस्सागोई की शैली का प्रभाव है, पर बाद में वे यथार्थवादी शैली अपना लेते हैं। डॉ.कलावती कुमारी ने कहा कि प्रेमचंद हिंदी के युग प्रवर्तक रचनाकार हैं। उनकी रचनाओं में तत्कालीन इतिहास बोलता है। डॉ.अजित कुमार दास ने कहा कि प्रेमचंद ने हिन्दी उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी शती के साहित्य का मार्गदर्शन किया। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी संपादक थे। संस्था के अध्यक्ष श्री सुबोध गुप्ता ने कहा कि बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की नगरी में मुंशी प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन नैहाटी की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, उन्होंने कहा कि श्री अशोक चटर्जी महोदय हमेशा संस्था के गतिविधियों में शामिल रहते हैं। कार्यक्रम का संचालन श्री गोपाल नारायण गुप्ता एवं श्री अमरजीत पंडित ने किया।इस आयोजन में गौरीपुर हिंदी हाई स्कूल,हाजीनगर आदर्श हिंदी विद्यालय, सरस्वती बालिका विद्यालय, आनंद स्वरूप हाई स्कूल,विद्या विकास हाई स्कूल, गुरुकुल ग्लोबल एवं सेंट ल्यूक्स डे स्कूल के दसवीं एवं बारहवीं के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पाने वाले विधार्थियों को सम्मानित किया गया।इस अवसर पर प्रो. दीक्षा गुप्ता,प्रो.परमजीत पंडित,शाखा प्रबंधक श्री मंजित कुमार दास, राजभाषा हिंदी अधिकारी श्री पतीत रेड्डी,शिक्षक डॉ. सुशील कुमार पाण्डेय, कन्हैयालाल मूर्ति,श्री राजेश कुमार पाण्डेय,श्री असित कुमार पाण्डेय,श्री संजय राम,श्रीमती शिपाली गुप्ता ,श्री धीरज केशरी,श्री योगेश साव,श्री रोहित गुप्ता,मो.शकील अख़्तर,श्री शम्भु रजक,श्री संजीव पंडित एवं श्री उदय साव समेत बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।संस्था के  चेयरपर्सन श्री राजेन्द्र गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह आयोजन नैहाटी की प्रतिभाओं को जन -जन तक पहुंचाने वाला कार्यक्रम है। आने वाले समय में यह संस्था और अधिक साहित्यिक-सांस्कृतिक बुनियाद को मजबूती प्रदान करेगा। आयोजन को सफल बनाने में संस्था के कोषाध्यक्ष श्री विकास गुप्ता एवं महासचिव प्रो.मंटू दास की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
उमेशचन्द्र कॉलेज में प्रेमचन्द जयंती
कोलकाता । उमेशचन्द्र कॉलेज हिन्दी विभाग, आंतरिक गुणवत्ता और आश्वासन प्रकोष्ठ, राष्ट्रीय सेवा योजना और छात्र परिषद द्वारा ‘ प्रेमचंद जयंती’ के उपलक्ष्य में साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य में कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ॰ मो॰ तफ़ज्जल हक़ ने प्रेमचंद के जीवन संघर्ष एवं उनके साहित्य की प्रासंगिकता के संबंध में अपने विचार रखें। हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ कमल कुमार ने प्रेमचंद के कुछ चुनिंदा कहानियों के माध्यम से सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक संवेदना को उजागर किया। प्रो. ज्योति पासवान ने प्रेमचंद के उपन्यासों के माध्यम से तत्कालीन समाज में स्त्री के जीवन, संघर्ष, अस्मिता एवं अधिकार संबंधी बातें रखीं। प्रो. परमजीत ने प्रेमचंद के कहानी कला पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखें। कार्यक्रम की शुरुआत प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई। इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के बच्चों द्वारा विशेष प्रस्तुति के रूप में ’नमक का दरोगा’ कहानी का नाट्य मंचन किया गया। इस नाटक में दीप्तार्घ पाल, गुनगुन गुप्ता, हर्ष गुप्ता, प्रियांशु सिंह, अंकित सिंह, रोहन रजक, आयशा, पवन साव, हर्ष कोठारी, सुमित सराज आदि प्रमुख थे।
कॉलेज के छात्रों गुनगुन गुप्ता, कुमकुम जायसवाल और संजिनी राय ने काव्य आवृत्ति एवं नृत्य प्रस्तुति की। कार्यकम का कुशल संचालन तमोघ्ना दत्त ने किया और धन्यवाद ज्ञापन गौतम दास ने किया। मंच पर उपस्थित थे आंतरिक गुणवत्ता और आश्वासन प्रकोष्ठ को-ऑर्डिनेटर प्रो. रमा दे नाग, एक्सटेंडेड कैंपस की प्रभारी प्रो. मर्सी हेंब्रम, अरुण कुमार बनिक, डॉ. अरूप बख्शी, कावेरी कर्मकार, पूजा मुखर्जी, सोनाली चक्रवर्ती आदि के साथ तृणमूल छात्र परिषद के भूषण प्रसाद सिंह, आनंद रजक, अमित सिंह, सुष्मिता सिंह आदि छात्र उपस्थित थे।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।