कोलकाता । रंगों का त्योहार है आया, खुशियों की बौछार संग लाया उषा श्राफ की इन पंक्तियों ने होली त्योहार की खुशियों को दुगना कर दिया। अर्चना संस्था के सदस्यों में बनेचंद मालू ने हास्य कविता रामू छुट्टी पर गया है और क्षणिकाएँ, शशि कंकानी ने नवरंग आज बिखेरेंगे हम, हे जी हिलमिल खेले फाग रे, भारती मेहता ने रंग सूखे हों तो भरे नहीं जाते, ज्यादा गीलें हों तो बह जाते हैँ अभिव्यक्ति क्या नपी तुली होनी चाहिए?, विद्या भंडारी ने गीत अरे ए री आलि रंग बिना चित नहीं लागे, मन को रंग दें आज,आज होली है।मृदुला कोठारी ने गीत होली आई सखियों रल मिल होली खेलन चाल।ऐ वृंदावन में धूम मची है फाग मचास।ऐ। प्रकृति के रंगों में रंग है हमारा उत्सव आम अनार जामुनी रंगों में रंग है हमारा उत्सव होली की धूम मचाता है।
कार्यक्रम का संचालन सुशीला चनानी ने किया और अपनी रचनाएं स्वरचित गीत -(होली के विभिन्न रंगो का प्रभाव-फागुन के महीने में उत्सव होली का आता , संग में रंगों की झोली भर लाता है और राजनीतिक ,सामाजिक विभिन्न ,विसंगतियों पर प्रहार करते हुए विभिन्न स्वरचित जोगिरा सुनाये जैसे -नेताजी को देख कर गिरगिट हो गयी दंग । मै भी इतना न बदलूं जितना ये बदले रंग।जोगिया सरदार जोगिरा सरररर—।
वसुंधरा मिश्र ने होरी-आई गीत सुना कर राधा-कृष्ण की बांसुरिया को याद किया। हिम्मत चोरडि़या प्रज्ञा ने गीतिका हमें किसी ने भूल से,आज पिला दी भंग।चढ़ा रंग जब भंग का, खूब हुआ हुड़दंग।।मीना दूगड़ ने हायकू -होली का राम राम, रंगों का पैगाम, तुम्हारे लिए। और होली !होली! होली! होली का शोर चहुँओर है,नाच रहा मन मोर है सुनाई।
चंद्रकांता सुराणा सुराणा ने अपनी रचनाओं होली का त्यौहार है आया, ढेर सारे रंग है लाया/ नानीसा ममता की मूरत है, चांद भी शर्मा जाए ऐसी सूरत है से महफिल में चार चांद लगा दिए। संयोजक इंदू चांडक ने अठखेली करती हवा, नृत्य करे मन मोर। रंग रॅऺगीला मास यह, फागुन अति चितचोर , गीत -रंग है गुलाल है, मस्ती और धमाल है, होली का गीत सुनाया। धन्यवाद ज्ञापन किया बनेचंद मालू ने ।कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।