वसंत आ चुका है…वसंत पंचमी के साथ ही वातावरण एक अनूठे रंग से सज जाता है । वसंत से विद्या और ज्ञान के साथ प्रेम का गहरा सम्बन्ध है क्योंकि अगर दोनों को गहनता से समझा जाए तो दोनों एक दूसरे का द्वार खोलते हैं । ज्ञान हो तो हम प्रेम की भाषा को समझने लगते हैं और सृजन की वाणी बोलने लगते हैं और प्रेम हो तो ज्ञान होता है संवेदना का, सहानुभूति और असीम सृष्टि के सौन्दर्य का । यह भाषा कला, संगीत और साहित्य की है और इसका लक्ष्य है मानवता का मार्ग । 2024 में वैलेंटाइन डे और सरस्वती पूजा एक साथ पड़ रहे हैं पर ये हमें समझने की जरूरत है कि आप प्रेम के नाम पर जिस लस्ट को बढ़ावा दे रहे हैं, वह लास्ट नहीं करता, अर्थात टिकता नहीं है। प्रेम बंधन नहीं है, मोह नहीं है, कारावास नहीं है…वह बंधन से मुक्त करता है और होता भी है..प्रेम मुक्ति है…खुद को जर्जरताओं से मुक्त करना और दूसरों के लिए बोझ या बंधन ना बंधना है । अगर आप प्रेम के नाम पर अपनी असुरक्षा का भार किसी और पर डाल रहे हैं…बांधने के नाम पर किसी से कुछ छीन रहे हैं तो याद रखिए कि यह आप जो कर रहे हैं, वही आपके पास लौटकर आने वाला है…प्रेम शरीर भर ही नहीं, उससे आगे की चीज है जो हमें अपने लक्ष्य ,उद्देश्य के प्रति और समर्पित और गम्भीर बनाता है..अगर आपका प्रेम आपको भटका रहा है तो ठहर जाइए…ये और कुछ भले ही हो…प्रेम तो नहीं है …पुस्तकों के साथ पुस्तकों की बात…और वाणी प्रवाह की शुरुआत..आपके लिए।
शुभजिता डॉट कॉम आठवें वर्ष में प्रवेश कर रही है और अब तक 1 मिलियन आगंतुक इस वेबसाइट पर आ चुके हैं। यूट्यूब चैनल पर भी 500 सदस्य हो चुके हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है…8 वर्षों में अपराजिता से शुभजिता की यह यात्री सृजनात्मक और रोमांचक रही है। किसी अंधी दौड़ से अलग..अपनी सीमाओं को पहचानते हुए, सामर्थ्य के दम पर सम्भावनाओं के द्वार खोलते हुए…भले ही हम कुछ अनोखा न कर रहे हैं मगर एक ऐसी राह पर तो जरूर चल रहे हैं जहाँ से सृजनात्मकता की राह और चमकीली हो रही है । आप सभी का आभार…यह स्नेह बना रहे सदैव की तरह ।