कोलकाता । अर्चना संस्था की ओर से आयोजित स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सदस्यों ने कविताएँ गीत दोहे कुंडलियां सुना कर देश के प्रति अपने भावों को व्यक्त किया। आज़ादी की कहानी; इन्सान ख़ामोश है, पर बातों का शेर है। आदि बनेचंद मालू ने कविताओं का पाठ किया।। सावन का बुखार /स्वतंत्रता का खुमार /स्वतंत्रता दिवस का मच रहा शोर।/मिली आजादी,पर दिल मांगे मोर।। मीना दूगड़ ने देश भक्ति की भावना से भरे भाव प्रस्तुत किए। हिम्मत चोरडिया प्रज्ञा ने गीत देश जब-जब माँगता हो, दें सकें बलिदान अपना।मृदुला कोठारी ने गीत नई उमंगे नई तरंगे नव उल्लास मनाएं। आओ हिल मिल आज तिरंगा धरती पर फहराये / अमृत कहा से लाऊ मैं कैसे आजादी मनाऊँ। सुनाया। ज़रा मंदिरों से बाहर आओ ईश्वर /देखो नजारा बाहर का। विद्या भंडारी ने सुनाया वहीं ये वीरों का देश है कण-कण देता,संदेश है/देश हमारी शान है/देश हमारी आन है/इसके खातिर जीना है/इसके खातिर मरना है/वन्दे मातरम ।नौरतनमल भंडारी ने देश के प्रति आन बान शान और गौरव को दर्शाया। चंद्र कांता सुराना ने आजादी पर सवाल उठाते हुए अपनी कविता सुनाई स्वतंत्रता क्या है स्वतंत्रता/अहम सवाल मेरे मन में उठा। संगीता चौधरी ने देश के सपूतों सलाम करते हुए को ए वीर सपूतों तुम्हें सलाम कविता सुनाई। सुशीला चनानी ने स्वरचित दोहे-झंडा भारत देश की संस्कृति की पहचान। /साहस , वैभव शांति से मेरा देश महान।। गीत -स्वतंत्रता दिवस का अर्थ न केवल झण्डा ही फहराना है।/वीर शहीदों की गाथायें हमको भी दोहराना है । देश के प्रति अपने भावों को सुनाया। इंदू चांडक ने कार्यक्रम का संचालन किया और अपनी कविता वीर सपूतों भारत माँ के जन्मभूमि के पहरेदार और गीत प्रस्तुति दी। डॉ वसुंधरा मिश्र ने भारत श्रेष्ठ है कविता सुनाई।स्वागत एवं धन्यवाद दिया मृदुला कोठारी ने ।स्वतन्त्रता की पूर्व सन्ध्या पर अर्चना की काव्य गोष्ठी में सदस्यों ने एक से एक भावभरी रचनाओं की प्रस्तुति दी ।