कोलकाता । सोहन लाल कमोडिटी मैनेजमेंट (एसएलसीएम) के ग्राउंड ब्रेकिंग एआई एमएल क्यूसी मॉड्यूल को एनएबीएल की प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त हुई है। एआई एमएल क्यूसी एसएलसीएम के पेटेंट प्रोसेस मैनेजमेंट सिस्टम “एग्री रीच” ऐप के तहत आता है। इस ऐप के जरिये फसलों और कृषि जिंसों की जांच की जा सकती है और उसकी गुणवत्ता का पता लगाया जा सकता है। यह पहली बार है जब किसी मोबाइल ऐप को एनएबीएल सर्टिफिकेट मिला है। फसल कटाई के बाद कृषि जिंसों की भंडारण सुविधा उपलब्ध कराने में एसएलसीएम अग्रणी सेवा प्रदाता है।
कृषि क्षेत्र में हाल के वर्षों में हुई वैज्ञानिक प्रगति से एग्री रीच ऐप के जरिये किसान रूबरू हो सकते हैं। ग्रामीण इलाके के लोग इस ऐप का अधिकतम लाभ उठा रहे हैं। लॉन्च होने के बाद केवल दो महीनों में इसका उपयोग 17 राज्यों में 303 स्थानों पर 21.59 लाख टन फसलों का निरीक्षण करने के लिए किया गया है। कृषि उत्पादों की गुणवत्ता की जांच करने के लिए एआई एमएल क्यूसी ऐप का उपयोग करना फोटो खींचने जितना आसान है। ऐप के जरिये कृषि उत्पादों पर एक क्लिक करने, फिर उसे सबमिट करने से उस फोटो के आधार पर उसकी गुणवत्ता की पूरी रिपोर्ट ऐप पर दिखने लगती है। इसके आधार पर उपयोगकर्ता को पता चल जाता है कि फसल क्षतिग्रस्त है या सिकुड़ा हुआ या अपरिपक्व है। इसके अलावा उस जिंस की ऊंचाई, लंबाई, ग्रिड, रंग और पैटर्न जैसे अन्य भौतिक मापदंडों का फोटोग्राफिक सुबूत का विवरण उपयोगकर्ता को मिल जाता है। यह ऐप आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) सहित अन्य तकनीकों के संयोजन का उपयोग करके यह विवरण पेश करता है।
एसएलसीएम के ग्रुप सीईओ संदीप सभरवाल ने एनएबीएल से मान्यता मिलने पर कहा, “हमारे पास एक दशक पहले वेयरहाउस मैनेजमेंट सिस्टम को ‘फिजिटलाइजिंग’ (फिजिकल+डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर) के लिए विजन था। पेशेवरों की एक टीम के साथ एसएलसीएम ने ‘एग्री रीच’ बनाया। यह ऐसा सिस्टम है जो बुनियादी ढांचे और फसलों के प्रभावी भंडारण समाधान को सक्षम बनाता है। हम भारतीय कृषि क्षेत्र की एकमात्र कंपनी हैं जिसने वेयरहाउसिंग क्षेत्र में एक प्रौद्योगिकी को पेटेंट कराया है। अब मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने अपने नेतृत्व की स्थिति की फिर से पुष्टि की है। फिर से इस क्षेत्र में पहली और एकमात्र कंपनी हैं जिसे एक ऐप के लिए प्रतिष्ठित एनएबीएल मान्यता प्राप्त हुई है। यह कृषि उद्योग में कृषि जिसों की गुणवत्ता को परखने के तरीके को बदल देगा।”