ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या को ही समुद्र मंथन से लक्ष्मी का जन्म हुआ था| इस दिन ऐसा क्या करें कि लक्ष्मी जो कि चंचला है आपके घर एवं प्रतिष्ठान में वास करे। आइये जानते हैं कुछ उपाय –
परिसर में दक्षिणावर्ती शंख से गंगाजल का छिड़काव करें।
घर के बाहर गाय के गोबर से लिपाई करें।
मुख्य द्वार को आम के पत्तों की बन्दनवार से सजाएं
घर के बाहर एवं पूजन स्थल पर रंगोली और अल्पना सजाएं।
घर में मिट्टी के गणेश-लक्ष्मी की मिटटी की मूर्ति की स्थापना करें।
मूर्ति अन्दर से खोखली न होकर ठोस हो।
गणेश जी के दायें लक्ष्मी जी की स्थापना करें।
घर को फूलों से सजाएं।
विषम संख्या में दिए जलाएं, जैसे 11, 21 या 51।
माता लक्ष्मी को बेलपत्र व कमल का फूल अवश्य चढ़ाएं।
दीपावली पूजन के पश्चात्संपूर्ण परिसर में गुग्गुल का धुआं दें।
श्री विष्णुसहस्रनाम अथवा श्री गोपाल सहस्रनाम तथा श्री लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें।
दिवाली पूजन के समय श्री नारायण सूक्त व श्री सूक्त का पाठ अवश्य करें।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
सबसे महत्वपूर्ण बात अमावस्या के अंधेरे को जिस प्रकार दीपमालाएं नष्ट कर देती हैं, उसी प्रकार दीपावली के दिन अपने मन के सभी विकारों को ज्ञान के प्रकाश से नष्ट करने की प्रार्थना गणेश जी से करें। धन तभी सुख देता है जब आपका तन और मन स्वस्थ हो।