भारतीय भाषा परिषद में मुक्तिबोध जयंती का आयोजन

कोलकाता । कवि मुक्तिबोध को मध्यमवर्ग से यह आशा रही है कि ये लोग अच्छे-बुरे के बीच संघर्ष से अच्छे को चुनकर देश में ऐतिहासिक भूमिका निभाएंगे| मुक्तिबोध आधुनिक हिंदी कविता के एक बड़े आलोक स्तंभ हैं| आज उनकी जयंती के अवसर पर भारतीय भाषा परिषद द्वारा आयोजित विशेष व्याख्यान और काव्य पाठ के एक कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह कहा| आसनसोल गर्ल्स कॉलेज के प्रो. कृष्ण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मुक्तिबोध की कविताएं आत्मसंघर्ष को महत्व देती हैं और वे अंधविश्वास की भावनात्मक जगह की आवाजें हैं|
सभा के अध्यक्ष और परिषद के निदेशक डॉ.शंभुनाथ ने कहा कि मुक्तिबोध आधुनिकता को फैशन नहीं परंपरा-विवेक और नवीनता-विवेक के रूप में देखते थे| उन्हें उन भारतीय श्रेष्ठताओं को लेकर चिंता थी, जो सांस्कृतिक ह्रास के दौर में खोती जा रही हैं| आज मनुष्य अंध-तकनीकी आधुनिकता और धार्मिक कूपमंडूकता के बीच सैंडविच है| मुक्तिबोध की कविता मनुष्य होने का बोध देती है| विद्यासागर विश्वविद्याल के प्रो.संजय जायसवाल ने सभा का संचालन करते हुए कहा कि मुक्तिबोध आधुनिक हिंदी कविता में प्रयोगशीलता और प्रगतिशीलता के बीच सेतु हैं| उन्हें नौजवानों से बड़ी आशा थी|
इस अवसर पर सेराज खान बातिश, राज्यवर्द्धन, मनोज मिश्र, गीता दूबे, सुरेश शॉ, पंकज सिंह, इबरार खान, प्रिया श्रीवास्तव, शिव प्रकाश दास, अमित साव, आशुतोष राउत, संजीव महतो, मोहित शर्मा, ज्योति चौरसिया, सुषमा कुमारी, शिप्रा मिश्रा पांडेय, रोशमी सेन शर्मा, सुमन शर्मा आदि ने कविता पाठ किया| डॉ. कुसुम खेमानी ने अपने शुभकामना संदेश में मुक्तिबोध के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की| श्री रामनिवास द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया|

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