कोलकाता । रंगशिल्पी थिएटर द्वारा एकतान मंच, नैहाटी में किर्गिज़ लेखक चिंगिज़ एत्मातोव द्वारा लिखित विश्वप्रसिद्ध कहानी पर आधारित ‘जमीला’ नाटक का मंचन हुआ। इस अवसर पर विद्यासागर विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि बंकिमचंद्र की जन्मभूमि पर रंगशिल्पी संस्था की यह प्रस्तुति याद रखने लायक है।कलाएं हमें जोड़ने के साथ मानवीय बनाती है।यह संस्था सीमित संसाधनों और बिना सरकारी सहयोग के रंगमंच को बचाने में लगी है।हमें आगे बढ़कर ऐसे प्रयासों में सहयोग करना चाहिए।इस आयोजन ने हमें सांस्कृतिक रूप से समृद्ध किया। नैहाटी म्युनिसिपल के सीआईसी मेम्बर राजेन्द्र गुप्त ने कहा कि यह नाटक हमें प्रेम की महत्ता को बताता है। प्रेम के बिना जीवन नीरस हो जाता है। हमें आपस में प्रेम भाव और साहचर्य से रहना चाहिए। उत्तर 24 परगना के जिला आरटीए सदस्य प्रियांगु पाण्डेय ने कहा कि हमारे अंचल में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन अति आवश्यक है। ऐसे आयोजन हमें सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करते हैं। जमीला नाटक हमें जीवन में प्रेम करना सिखाता है। साथ ही यह नाटक हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना भी सिखाता है। हमारी जड़ जितनी मजबूत होगी, हम उतना ही ऊपर और विस्तृत हो पाएंगे। इस नाटक के निर्देशक प्लाबन बसु ने कहा कि रंगशिल्पी की टीम का नैहाटी में जिस गर्मजोशी से स्वागत किया गया वह काबिलेतारीफ है।रंगमंच को बचाए रखने के लिए सभी के सहयोग की अपेक्षा है। उम्मीद करते हैं कि रंगमंच को बचाने के लिए सरकार का सहयोग मिलेगा। । इस मंचन की केंद्र बिंदु रूस से आयी जेनिया रहीं। जेनिया ने कहा कि हमारे (रूस) देश के प्रसिद्ध प्रेम कहानी को यहाँ (भारत) नाटक के रूप में मंचित होता देख कर बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसा लग रहा है कि मैं अपनों के बीच हूँ। सभी कलाकारों ने बहुत संजीदगी से अभिनय किया। इस नाटक के किरदारों में प्लाबन बसु, सुशील कांति, कल्पना झा, शैबल सरखेल, शक्ति चक्रवर्ती, सुबन्ति बनर्जी, सांता स्वरूप मुखर्जी, कथांजलि प्रामाणिक, पार्थ सारथी बसु, स्वागत मंडल, ऋतिक बसक, गोपाल दास, प्रदीप मंडल, विमल दे, विश्वबंधु चौधरी, डालिया प्रामाणिक, जिया झा, परणा कुमार, उमेश पासवान और तन्मय पोद्दार शामिल है । संगीत देशारी चक्रवर्ती, सेट डिज़ाइन जॉयचंद्र चंद्रा, मेकअप रॉबिन नस्कर, लाइट डिज़ाइन शशांक मंडल और कॉस्ट्यूम डिज़ाइन रंगशिल्पी स्टडी विंग्स ने किया।इस अवसर पर उदयराज ,सुशील पांडे, देवानंद साव, राजेश पांडे, सुबोध गुप्ता, संजय राय, विकास जायसवाल, मनीषा गुप्ता, जूही करन सहित लगभग लगभग साढ़़े तीन सौ नाटक प्रेमी उपस्थित थे।