मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अनुप्रेरणा से पश्चिम बंग हिंदी अकादमी के सूचना और संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित द्वितीय राष्ट्रीय हिंदी नाटक उत्सव का आयोजन किया गया। नाट्योत्सव के उद्घाटन समारोह में डायमंड हार्बर विश्विद्यालय और शिक्षण प्रशिक्षण से संबद्ध कुलपति प्रो सोमा बंदोपाध्याय ने कहा कि बंगाल ही वह सांस्कृतिक भूमि है जहाँ नाटकों के विकास की लंबी परंपरा रही है। नाटकों के इतिहास को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि बंगाल में वृन्दावन लाल वर्मा, भगवती चरण वर्मा आदि से लेकर श्यामानंद जालान, प्रतिभा अग्रवाल ,उषा गांगुली,अजहर आलम, प्रताप जयसवाल आदि नाटककारों और उनकी नाट्य संस्थाओं के महत्वपूर्ण योगदान से हिंदी नाटकों को पहचान मिली। बंगाल की धरती पर ही पहली बार बंगाली स्त्रियों ने नाटकों में अभिनय किया। हिंदी नाटकों में बंगाली महिलाओं ने अभिनय किया। रंगकर्मी, पदातिक, लिटिल थेस्पियन, अभिनव आदि विभिन्न हिंदी नाट्य संस्थाओं में बांग्लाभाषी भी अभिनय कर रहे हैं। बंगाल में सभी भाषाओं का सम्मान रहा है। वर्तमान सरकार द्वारा इस प्रकार के नाट्य उत्सव आयोजित करना महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम के प्रथम दिन लिटिल थेस्पियन द्वारा ‘रेत और इंद्रधनुष’ कोलाज नाटक की प्रस्तुति दी गई जिसका निर्देशन उमा झुनझुनवाला ने किया। द्वितीय दिन पदातिक नाट्य संस्था के निर्देशन में ताजमहल और तृतीय दिन मुश्ताक काक के नाटक आधी रात के बाद का मंचन किया जाएगा।
तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य उत्सव के प्रथम दिवस में उद्घाटन समारोह में डॉ सोमा बंदोपाध्याय कुलपति डायमंड हार्बर विश्विद्यालय और शिक्षण प्रशिक्षण ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। पश्चिम हिंदी अकादमी के सदस्य सचिव गौतम गांगुली, हावड़ा जिला परिषद के उप सभापति अजय भट्टाचार्य, हावड़ा डेवलपमेंट के एडीएम अज़हर जिया, हावड़ा जिला परिषद के कर्माध्यक्ष श्रीधर मंडल और पश्चिम बंग हिंदी अकादमी के अधिकारीगण ने अपने वक्तव्य रखे। जिला सूचना व संस्कृति कार्यालय, हावड़ा की व्यवस्था में शरत सदन हावड़ा के सभागार में आयोजित यह नाट्य उत्सव तीन दिनों तक सात आठ नौ सितंबर तक चलेगा। समारोह सत्र के पश्चात शशि सहगल की कविताओं के कोलाज रेत और इंद्रधनुष कविता कोलाज की नाट्य अभिनयात्मक प्रस्तुति दी गई जिसमें लिटिल थेस्पियन के कलाकारों हीना परवेज़, पार्वती कुमारी शॉ, प्रियंका सिंह, पूर्णिमा मेहरा, नेहा यादव, मनोहर कुमार झा, इंतेख़ाब वारसी, रितेश कुमार राव, राकेश, राहुल शर्मा ने मंचीय प्रस्तुति दी। प्रकाश परिकल्पना जॉयदीप रॉय, ध्वनि संचालक सब्यसाची पाल और निर्देशन उमा झुनझुनवाला का रहा।
लिटिल थेस्पियन एस एम अज़हर आलम और उमा झुनझुनवाला द्वारा 1994 में स्थापित अखिल भारतीय स्तर की भारतीय नाट्य संस्था है जिसका उद्देश्य समाज में कला और संस्कृति का विकास है। इस संस्था की सह संस्थापक और निर्देशिका उमा झुनझुनवाला पचास से अधिक नाटकों में अभिनय कर चुकी हैं और बंगाल में युवा पीढ़ी को नाट्य कला की शिक्षा प्रदान कर हिंदी नाट्यकला को समृद्ध कर रही हैं। उमा झुनझुनवाला द्वारा निर्देशित रेत और इंद्रधनुष नाट्य प्रस्तुति प्रसिद्ध कवयित्री डॉ शशि सहगल की बीस कविताओं का एक खूबसूरत कोलाज है जिसमें कलमकार के आंतरिक और बाहरी संघर्ष के ब्यौरे को भावों को अभिनयात्मक रूप में दर्शाया गया है। साथ ही इंद्रधनुषी रंगों से रेत होते ख्वाबों के मध्य एक नई राह की तलाश कर सकारात्मक दृष्टि से भरपूर ऊर्जा से भरा संदेश दिया गया है।इस अवसर पर कोलकाता और हावड़ा के हिंदी शिक्षक शिक्षिकाएं, विद्यार्थियों और नाटक प्रेमियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।