आजकल हम किसी भी चीज को ढूंढने के लिए सबसे पहले गूगल बाबा को याद करते हैं। गाड़ी के मैकेनिक ढूंढने से लेकर डॉक्टर तक को ढूंढने के लिए लोग एक जिस वेबसाइट पर सबसे ज्यादा जाते हैं वो है जस्ट डायल। आज इसी जस्ट डायल की कहानी –
इस कंपनी की शुरुआत 1994 में 50,000 रुपये के निवेश के साथ हुई। एक गैराज को दफ्तर के रूप में परिवर्तित किया गया और किराए पर कुछ फर्निचर और कंप्यूटर को लेकर 5-6 कर्मचारियों के साथ इस कंपनी की शुरुआत की गयी। कुछ ही समय में जस्ट डायल देश की लोकप्रिय सर्च वेबसाइट बन गयी।
जस्ट डायल के संस्थापक वैंकटाचलम् शांतनु सुब्रमणि मणि जिन्हें वीएसएस मणि के भी नाम से जाना जाता है। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत यूनाइडेट डेटाबेस इंडिया (यूडीआई) नामक येलो पेजस कंपनी में एक विक्रेता के रूप में की। यहाँ उनका काम एक डेटाबेस को संग्रह करना था, जो लोगों के लिए टेलीफोन पर उपलब्ध कराया जा सके।
मणि ने येलो पेजस कंपनी में 2 साल तक काम किया और यहीं से इन्होंने अपने स्टार्टअप बिजनेस की योजना बनाई। उनके लिए ये दो साल बहुत अहम थे क्योंकि जो उन्होंने वहाँ सीखा, वो उन्हें कोई एमबीए प्रोग्राम भी नहीं सिखा सकता। यहाँ उनकी मुलाकात उद्यमियों के साथ हुई और उनसे इन्होंने कई रणनीतियां सीखा। फिर अपनी योजना को सच करने के लिए मणि ने मित्रों के साथ मिलकर 1989 में “आस्कमी” का शुभारंभ किया।
ये कंपनी लंबे समय के लिए नहीं चली और इसका मुख्य कारण था भारत में फोन की कमी। एक रिपोर्ट के अनुसार, 1989 में केवल 1 प्रतिशत भारतीयों के पास फोन थे। फोन की यह कम संख्या इसके बिजनेस मॉडल के लिए लाभदायक नहीं रही।
निराशा के दौर से उबरने के बाद मणि ने “वेडिंग प्लानिंग” के व्यवसाय को चुना और इनके इस निर्णय में इनके परिवार ने इनका काफी सहयोग किया। इस “वेडिंग प्लानर” के व्यवसाय की शुरुआत भी इन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 50,000 रुपये के निवेश के साथ की। हालांकि इस व्यवसाय में ये 2-3 लाख का मुनाफा कमाते रहे परंतु मणि इस काम से खुश नहीं थे इसलिए वे दोबारा अपनी पुरानी योजना की ओर बढ़े।
लोगों को कंपनी का नाम “आस्कमी” तो याद रहता परंतु इसका नंबर याद ना रहता इसलिए यह प्लान जल्द ही ठप हो गया। इससे मणि निराश तो हुए पर उनकी उम्मीद नहीं टूटी। इन्होंने अपने हक के शेयरों को अपने पार्टनरों में बांट कर कंपनी छोड़ दी। यह किस्सा उनके कॅरियर का अंत नहीं था, बल्कि उनकी दूसरी दौड़ की शुरुआत थी।
नंबर चुनने के बाद अगला काम था डेटाबेस बनाना जिसमें विभिन्न व्यवसायों की सारी जानकारी हो। इसके लिए जस्ट डायल की टीम घर-घर तथा दुकानों व दफ्तरों में जा कर जानकारी इकट्ठा करने लगी। समय के साथ इनकी टीम ने काफी अच्छा डेटाबेस तैयार कर लिया था।
सफलता की इसी राह पर चल कर जस्ट डायल ने अन्य देशों में भी प्रवेश करना आरंभ किया। आज इसकी मौजूदगी यूएई, कनाडा, यूके और अमेरिका जैसे देशों में भी है। फिलहाल भारत में इसके 15 दफ्तर हैं।
जस्ट डायल भारत का स्थानीय सर्च इंजन है, जो शुरू में एक वर्गीकृत वेबसाइट के रूप में शुरू हुआ था लेकिन जल्द ही एक स्थानीय खोज इंजन में बदल गया। कंपनी पूरे देश में फैले 15 अलग-अलग कार्यालयों में 9,000 से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करती है। यह भारत के 2,000 से भी अधिक छोटे और बड़े शहरों को अपनी सेवा प्रदान करती है और इसके पास 12 लाख से भी अधिक का डेटाबेस है।
कंपनी को रोजाना 1. 9 मिलियन से भी अधिक कॉल आते हैं। इसके अलावा, वेबसाइट पर ऑनलाइन खोजों की संख्या वित्त वर्ष 12-13 के लिए 1125.7 मिलियन दर्ज की गयी थी। हर रोज यह कंपनी प्रगति की ओर बढ़ रही है और रोजाना 1.16 मिलियन अनूठे आगंतुक इस वेबसाइट को खोजते हैं। कंपनी ने अपनी सेवाएं कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात, यूके और यूएसए में बढ़ा दी है। अब तक, 3.4 मिलियन लोगों ने इसके ऐप को डाउनलोड किया है।
सैफ पार्टनर्स, सेक्वाइया कैपिटल, टाइगर ग्लोबल, ईजीसीएस और एसएपी वेंचर्स ने कंपनी के विकास में रुचि दिखाई और कंपनी में निवेश किया। जून 2012 में जस्ट डायल ने मौजूदा निवेशक सेक्वाइया कैपिटल और नीलम वेंचर्स सहित 57 मिलियन डॉलर जुटाए। इससे पहले भी कंपनी ने जून 2011 में इन्हीं निवेशकों से 10 लाख डॉलर का निवेश जुटाया था। इस फंड को प्रबंधन द्वारा बुद्धिमानी से उपयोग किया गया। जिससे उद्योग का ब्रांड वैल्यू बढ़ गया।
इसके अलावा, कंपनी ने बड़े ब्रांडों और नामों के अलावा स्थानीय व्यवसायों पर भी ध्यान दिया जैसे कि प्लंबर, मोबाइल की दुकानों, पेंटर आदि. क्योंकि कंपनी जानती थी कि आम लोग इन्हें भी खोजते हैं. यह तरीका कंपनी को सफलता के मार्ग पर ले गया। जल्द की कंपनी लोक्रप्रिय हो गई और अच्छी कमाई करने लगी। इनके 10 में से हर एक ग्राहक प्रायोजित सूची के लिए सहमति जताने लगे और इस तरह कंपनी ने मुनाफा कमाना आरंभ किया।
(साभार – न्यूज 18)