निधि एक अधूरी सी प्रेम कथा को पढ़ते हुए

कथा या कहानी आपको यदि बार-बार पढ़ने के लिए उकसाए और बार-बार मन में अटकी सी रह जाए तो समझ लीजिए कि उसमें कहानी के महत्वपूर्ण गुण छिपे हैं । हर बार के पाठ में उसके नए अर्थ और संदर्भ खुलें, हर बार यह लगे कि कुछ कहने समझने को बचा रह गया। अब सवाल उठता है कि कोई किसी से कुछ ऐसे ही तो नहीं कह देता। बिना किसी भरोसे के, रिश्ते और संबंध के ऐसी बात कहाँ होती है भला। जी हाँ मैं बात कर रही हूँ निधि एक अधूरी सी प्रेम कथा की।
प्रेम, कर्तव्य और देशप्रेम इन तीन मूल उद्देश्यों को लेकर ‘निधि एक अधूरी- सी प्रेम कथा’ उपन्यास अपना विषय तलाशती है, कहीं भी अपने विषय से न भटकते हुए, न इधर-उधर होते हुए। शाब्दिक विवरणों से ज्यादा मनोविज्ञान को पढ़ते, पकड़ने और उसके चित्रण में रमती हुई कथा मूल में प्रेम के साथ कर्तव्य को प्रतिष्ठित करती है। कर्तव्य भी तो प्रेम का ही एक रूप होता है और देशप्रेम तो बड़े और वृहद् अर्थों में प्रेम है। इसलिए यह कहानी हर अर्थ में कर्तव्य प्रधान प्रेम कथा है। निश्छल प्रेमिका नायिका निधि की छवि आधुनिक जीवन के मानवीय भावना से भरी स्त्री की है। नायिका अपने द्वारा उठाए गए कदमों पर अडिग रहती है।

कहानी की भाषा बिलकुल बोलचाल की भाषा है जो वातावरण को सजीवता प्रदान करती है। नेपाली परिवार के बेटे मेजर राहुल से प्रेम करने के कारण नेपाली भाषा के भी वाक्य मिलते हैं। दो भाषाओं का मेल काफी प्रयोगशील और प्रगतिशील है जो उपन्यास की प्रयोगधर्मिता का परिचय देता है। प्रेम में भाषा समस्या नहीं बनती है। एक प्रेम-कहानी की रचना जिस आत्मीयता और लगाव से लेखिका ने रचा है वह काबिले तारीफ है।
‘ निधि एक अधूरी – सी कहानी’ लेखिका पूनम त्रिपाठी का प्रथम लघु उपन्यास है । उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है कि वे सेना का अंग बनना चाहती थीं लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें वह अवसर नहीं दिया। संभवतः उनकी दबी हुई इसी भावना ने इस प्रेम कथा को जन्म दिया जो देश के प्रति समर्पित सैनिक को केंद्र में रखकर लिखी गई है। सैनिक से प्रेम करने वाली युवती भी विशेष होती है क्योंकि प्रेम करना और उसे निभाना खांडे की धार पर चलना है। एक आम स्त्री और पुरुष की तरह उसका जीवन सरल और सहज नहीं होता। कबीर ने भी कहा है –
प्रेम की गली अति सांकरी जा में दो न समाए। प्रेम न बाड़ी ऊपजे, प्रेम न हाट बिकाय ‘
भले ही यह प्रेम अन्य संदर्भ में कहा गया हो लेकिन विशुद्ध प्रेम त्याग और बलिदान की ही मांग करता है। वह चाहे देश प्रेम हो या युवक-युवतियों का लौकिक प्रेम हो।
यह उपन्यास एक आर्मी मेजर थापा और एक एनसीसी कैडट निधि की प्रेम कथा है। युवती निधि प्रेम के साथ सैनिक की बुलंद आवाज और उसके वजूद को जिंदा रखने का ‘स्ट्रांग’ कदम उठाती है। निधि समाज से लड़ती है, सैनिक सरहद पर लड़ता है। निधि जिंदा रहकर सरहद पर जाने वाले प्रेमी की मृत्यु और जीवन की आशंकाओं से घिरी हुई रोज अपने आप से लड़ती है। दोनों पक्षों की ओर से ही जीवन जीने की अलग – अलग चुनौतियाँ आती हैं जिनका सामना निधि करती है। यह उपन्यास स्त्री की आंतरिक मानवीय भावनाओं के द्वंद्व और पीड़ा का उद्घाटन है। ‘निधि एक अधूरी सी प्रेम कथा’
शीर्षक में ही प्रेम कथा के अधूरेपन को समझा जा सकता है जो अपने समय में पूरा आकार नहीं लेती है।
यह प्रेम कथा कब पूर्णता लेती है? और क्या मेजर थापा सरहद से वापस आते हैं? क्या निधि को दोनों परिवारों का सहारा मिलता है? विवाह के पहले गर्भ में आए बच्चे को जन्म क्यों देती है? ऐसा क्या होता है कि निधि के सारे सपने चकनाचूर हो जाते हैं? इस तरह के बहुत से प्रश्नों के उत्तर इस उपन्यास में मिलते हैं।
निधि की होने वाली सास की कहानी भी प्रेम विवाह से शुरू होती है जहाँ उसे अपनी सास से ‘डायन’ की संज्ञा मिलती है। सास नेपाली लामा परिवार की हैं और उनके पति कर्नल थापा परिवार से लेकिन वहाँ भी जाति को लेकर उनके विवाह में बहुत अड़चनें आईं। नेपाली में भी जाति – पांति का विरोध है। निधि की होने वाली सास को तो उसके परिवार ने नकारते हुए उसका दाह-संस्कार तक करा डाला। फौजी ससुराल होने के बावजूद उसकी सास से उसे ‘डायन’ सुनने को मिला और साथ में पीठ पर गर्म पानी तक उढे़ला गया। परंतु निधि के विवाह में ऐसी अड़चन या प्रतारणा नहीं आती है । भुक्तभोगी सास ने निधि को पूरे मन से अपनाया और उसको सम्मान दिया क्योंकि वह समाज की इस प्रतारणा से गुजर चुकी है। वह कहती है कि कास्ट, रिलीजन और मनी ये ऐसी चीजें हैं जो एक दूसरे को अलग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पति का साथ और प्रेम मिला जो सास का जीवन प्रेम से भरा रहा। और वह अपनी पुत्रवधु को किसी भी प्रकार की तकलीफ़ नहीं देना चाहती थी। तभी तो निधि के हर फैसले में ससुर कर्नल थापा ने अपनी बेटी की तरह उसका हर कदम पर साथ दिया । समाज का विरोध अवश्य रहा लेकिन बहू निधि के दृढ़ संकल्प के आगे किसी की नहीं चली। बिना किसी विरोध के दोनों परिवारों ने इस विवाह के लिए स्वीकृति भी दे दी।
मेजर राहुल थापा के साथ हुई रिंग सेरेमनी के समय आए ‘रिश्तेदारों में खुसुर-पुसुर हो रही थी पर प्रकट कोई नहीं कर रहा था। ये समाज का अघोषित नियम है कि सिर्फ खाना-पीना और नुक्स निकालना है। आपकी जरूरत में बहुत कम लोग साथ देगें लेकिन आलोचना करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझेंगे।’ (पृष्ठ 63)लेखिका ने उपन्यास में समाज की नब्ज़ को बहुत गहराई से महसूस किया है।
इस पुस्तक की महत्वपूर्ण पंक्तियाँ हैं – – ‘झूठी शान, झूठा रुतबा, बड़ी जाति का घमंड, ये सब एक दीमक की तरह हैं जो इंसान और उसकी इंसानियत को खोखला बना देते हैं।’ (पृष्ठ 75)इंसानियत को जिंदा रखने का भरपूर प्रयास इस उपन्यास की विशेषता है।
सैनिक का जीवन कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा होता है जिसे कोई भी सामान्य व्यक्ति नहीं बचा सकता है।सबसे पहले, वे अपने प्रियजनों से दूर बहुत समय बिताते हैं। यह उन्हें भावनात्मक रूप से परेशान करता है और वे राष्ट्र की सुरक्षा में व्यस्त रहते हैं, वे राष्ट्र के संरक्षक हैं और अपने नागरिकों की हर कीमत पर रक्षा करते हैं।
इसके अलावा, वे बहुत निस्वार्थ हैं जो देश के हित को अपने निजी हित से ऊपर रखते हैं। विवाह के एक दिन पहले मेजर राहुल को सरहद पर जाना पड़ता है।
वह अपने माता-पिता और सास – ससुर दोनों के साथ साथ अपनी प्रिया निधि को भावनात्मक सहयोग देने की कोशिश करता है। निधि दो दिन बाद ही मिसेज थापा बन जाती लेकिन जीवन में आई इस अप्रत्याशित घटना ने उसके और मेजर के सुंदर सपने को पलभर में चकनाचूर कर दिया।
वह अपनी मित्र चंदना से कहती है – ‘एक पल में चंदना, बस एक पल में, मेरी तो दुनिया ही बदल गई। सपने चकनाचूर हो गए। चंदू मैंने अकेले रहने का सपना नहीं देखा था। उनके साथ (जुड़वा बच्चों का सपना) विहान और यामिनी के परवरिश का सपना देखा था’ (उन्माद, एक प्रेम कथा, पृष्ठ 71)
कठिनाइयों के बावजूद उनका जीवन एक सीमा के अंदर बंध जाता है। एक सैनिक के लिए सबसे पहले उसका देश होता है,जो लोग इस नौकरी में आने का फैसला करते है वे इस तथ्य से वाकिफ होते है कि उन्हें अपना सम्पूर्ण जीवन देश के प्रति न्योछावर करना होगा,अपने परिवार से लंबे समय तक दूर रहना होगा,और अपने जीवन के सारे सुख ऐश्वर्य का त्याग करना होगा। ये सारी बातें उन्हें दुखी अवश्य करती है पर उनके मन को निराश नहीं करती, वे पूरी लगन के साथ देश सेवा करने को तैयार रहते हैं ।अनुशासन, साहस, संकल्प, मानसिक स्थिरता, मजबूत काया, देशवासियों से प्यार ये सारे गुण एक सोल्जर में विद्यमान होते है। उन्हें अपने देश से बहुत प्यार होता है और उनका देश के प्रति यह लगाव उन्हें और अधिक प्रोत्साहित करता है। अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक मैकडुगल ने मूल प्रवृत्ति को परिभाषित करते हुए अपनी पुस्तक “ऐन आउटलाइन ऑफ सायकोलाजी” में लिखा है कि- मूलप्रवृत्ति (instinct) एक ऐसी मनोदैहिक प्रवृत्ति है जिससे प्रभावित होकर व्यक्ति किसी उत्तेजक विशेष की ओर ही अपना ध्यान केन्द्रित करता है व किसी विशेष प्रकार के संवेग या आवेग का ही अनुभव करता है और उस उत्तेजक विशेष के प्रति किसी विशेष प्रकार की ही प्रतिक्रिया प्रकट करता है।
विवाह के एक दिन पहले जब मेजर अपने सास- ससुर को बताते हैं कि वे कल दोपहर की ट्रेन से जम्मू जा रहे हैं और फिर बॉर्डर पर। (पृष्ठ 84) देश में इस प्रकार हालात हो जाएंगे यह किसे पता था। वह भी तो शादी करना चाह रहे थे। आफ्टर आल आई एम ए सोल्जर आई हैव टू गो
अपने देश के लिए लड़ना ही होगा। (पृष्ठ 84) ‘कर्तव्य सबसे बड़ा होता है।’ ( पृष्ठ 85) निधि ‘स्ट्रांग’ होने और हमेशा उसी की रहेगी यह वादा करती है। हावड़ा स्टेशन भी छोड़ने जाती है।
तीन महीने में आने का वादा किया था लेकिन मेजर के सभी साथी आ गए लेकिन मेजर नहीं आए।
उपन्यास यहीं से नया मोड़ लेता है। अविवाहित निधि मेजर के बेटे विहान को जन्म देती है और निधि अपनी प्रेम परीक्षा की कसौटी पर खरी उतरती है। वहीं देश प्रेम के लिए भी उसकी भावना ईमानदारी का परिचय देती है। विवाह से पूर्व गर्भवती बहू और बेटी को परिवार के परस्पर सहयोग ने टूटने से बचाया जो उपन्यास की एक और महत्वपूर्ण बात है।
इस उपन्यास को पढ़ते हुए एक और फौजी का स्मरण हो आया। परमवीर चक्र विजेता कर्नल विक्रम बत्रा की मंगेतर डिम्पल चीमा को भी भुलाया नहीं जा सकता जो उनके शहीद हो जाने पर आजीवन विवाह न करने का फैसला करती है। एक परिवार के बेटे का चला जाना बहुत ही दुखदायी घड़ी होती है। वे उसके आने की राह तकते रहते हैं।
उपन्यास नायिका केंद्रित है जहां कहानी स्मृतियों के साथ आरंभ होती है। शुरुआत ही निधि की प्रसव पीड़ा से होती है और वह पीड़ा सुख – दुख के पर्दे के पीछे से प्रेम की झीनी झीनी किरणों का प्रकाश आने वाली सुबह को आनंद से पल भर में भर देता है, पता ही नहीं चलता। माँ नेपाली में कहती है ‘निधि होशमा आऊ। – – – भगवान ले हाम्रो प्रार्थना सुन्नु भए को छा। निधि को पता था कि कान्हा इतना निष्ठुर नहीं हो सकता।
100 पृष्ठों का लघु उपन्यास बारह शीर्षकों विहान, मातृत्व, आकर्षण, खूबसूरत, सफर, वापसी, प्रथम परिचय, अनकही, रहस्योद्घाटन, प्रेम बंधन, उन्माद, पीड़ा, विछोह में विभाजित किया गया है जहां संक्षेप में कहानी के सूत्रों को पिरोया गया है। इसे वृहद रूप भी दिया जा सकता है। लेखिका का प्रयास सराहनीय है। ग्रिफिन पब्लिकेशन से प्रकाशित 2021 में प्रथम संस्करण और मूल्य 230 रुपए हैं। शुभकामनाएं।

शुभजिता

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