कैंसर के इलाज के लिए रासायनिक पदार्थों से लेकर वनस्पतियों तक में संभावनाएं ढूंढी जा रही हैं। इस सूची में अब मुलेठी का नाम भी शामिल हो गया है। मुलेठी के बारे में तो हम सभी जानते हैं।
सेहत के लिए ये काफी फायदेमंद होती है। आयुर्वेद में तो इसका उपयोग औषधि के तौर पर किया जाता है। अब एक नये अध्ययन में दावा किया गया है कि कुछ विशिष्ट प्रकार के कैंसर की रोकथाम या इलाज में मुलेठी की अहम भूमिका हो सकती है. शिकागो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी का निष्कर्ष ‘फार्मोकोलॉजिकल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
दरअसल, मुलेठी कई बीमारियों को ठीक करने में कारगर होती है। इसमें खासतौर पर प्रोटीन, एंटीबायोटिक, एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसमें कैल्शियम भी मौजूद होता है। सर्दी, खांसी होने पर घर के बड़े बुजुर्ग हमें मुलेठी खाने की सलाह देते हैं क्योंकि मुलेठी का रस इन बीमारियों में काफी फायदा पहुँचाती है। कई लोग मुलेठी के गुणों को देखते हुए उसका ज्यादा उपयोग करने लगते हैं। ऐसा करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
क्या कहते हैं जानकार
रॉकफोर्ड के कॉलेज ऑफ मेडिसिन में डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेज में एसोसिएट प्रोफेसर ज्ञानेश्वर मुनिरथिम और उनकी रिसर्च टीम ने इस बात की स्टडी कि क्या मुलेठी से प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम की जा सकती है. उन्होंने लिकरिस (मुलेठी) से मिलने वाले ग्लाइसीर्रिजिन को लेकर प्रयोग किया है और कहा है कि इसके क्लिनिकल यूज को लेकर और स्टडी होने चाहिए. उन्होंने बताया कि जब हमने स्टडी डेटा का विश्लेषण किया तो पाया कि ग्लाइसीर्रिजिन और व्युत्पन्न ग्लाइसीरिर्जिन एसिड में सूजन रोधी और कैंसर रोधी एजेंट बनने का प्रचुर संभावना है।
हालांकि, उन्होंने आगाह किया है कि इसका मतलब ये नहीं कि कोई भी मुलेठी चबाने लगे, क्योंकि इससे प्रेशर भी प्रभावित होता है और कुछ दवाओं के साथ इसकी प्रतिक्रिया गंभीर साइड इफेक्ट पैदा कर सकती है जो कभी-कभी मौत का भी कारण बन सकती है।