वाराणसी। क्या रामचरित मानस के माध्यम से फीजिक्स और केमेस्ट्री जैसे विषय पढ़े या समझे जा सकते हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू का विद्यार्थी प्रिंस यह मानता है और उसने यह कर भी दिखाया है।
इधर राम मन्दिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ तो बीएचयू के छात्र ने मन्दिर निर्माण के विरोध में स्कूल की वकालत करने वालो को जवाब देने का रास्ता तैयार कर लिया । बीएचयू के छात्र प्रिंस तिवारी ने फैसले वाले दिन ही एक स्कूल ” द स्कूल ऑफ राम “के नाम से एक डिजिटल स्कूल की स्थापना कर दी। सोशल मीडिया पर इस स्कूल की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भगवान राम के जीवन पर आधारित गोस्वामी तुलसीदास रचित राम चरित मानस को आधुनिक व्यवसायिक विषयों के साथ जोड़ने का था। इस से आज के युवा विषयों को सीखने के लिए राम चरित मानस की चौपाइयों से आसानी से समझ सकते है।
छात्रावास में छात्रों की आपसी बहस ने दिया विचार
2019 में जब राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो प्रिंस तिवारी अपने छात्रावास में दोस्तो के साथ बैठे हुए थे । बीएचयू के हिंदी विभाग से स्नातक के छात्र छात्रों की बहस को सुन रहे थे । बहस के दौरान कई छात्र राम के जीवन और मन्दिर की सार्थकता को लेकर बहस कर रहे थे । ऐसे में प्रिंस ने तय किया कि आज की युवा पीढ़ी को राम के जीवन से जुड़े उन अनछुए पहलुओं से रूबरू कराएंगे जिस से अब तक युवा वर्ग अछूता रहा है। प्रिंस ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि तभी उन्हें इस स्कूल का ख्याल आया और अपने सनातन साहित्य राम चरित मानस की चौपाई को आज के विषयों में कैसे प्रासंगिक है, इस पर काम शुरू किया । 1 साल तक विषय पर शोध करने के बाद प्रिंस ने कई विषयो के सिद्धांतो को प्रिंस ने राम चरित मानस की चौपाइयों में खोज निकाला और उसे एक कोर्स का स्वरूप दे कर अपने “द स्कूल ऑफ रामा” के पाठ्यक्रम में शामिल किया।
देश- दुनिया के हज़ारों लोग जुड़े अब तक द स्कूल ऑफ रामा से
इस पूरे स्कूल को संचालित करना प्रिंस के अकेले बस में नही था। इसके लिए उसने अपने साथ के छात्रों को हफ्ते के कुछ घण्टे इस वर्चुअल स्कूल के प्रमोशन के लिए तैयार किया। आज बीएचयू , जेएनयू , जामिया , डीयू समेत कई विश्वविद्यालयों के करीब 22 छात्र इस स्कूल के संचालन से जुड़े है। धीरे धीरे इस स्कूल में अब करीब 15 हज़ार से ज्यादा लोग जुड़ चुके है । इन लोगो मे ज्यादातर विदेशों के छात्र है जो किसी न किसी कार्यक्षेत्र से जुड़े है। लेकिन रोज़मर्रा के जुड़े मामलों को समझने के लिए इस वर्चुअल स्कूल के क्लास से जुड़ते हैं । प्रिंस और उनके साथी इन सवालों का जवाब राम चरित मानस के चौपाई के माध्यम से समझाने का प्रयास करते हैं।
भौतिक विज्ञान से लेकर अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों को समझाती है राम चरित मानस की चौपाई
प्रिंस से एनबीटी ऑनलाइन ने समझना चाहा कि आखिर कैसे चौपाई से आज के आधुनिक विषयो को समझा जा सकता है तो उदाहरण के तौर पर प्रिंस ने बताया कि राम चरित मानस की एक चौपाई है..
तृषा जाई वरु मृगजल नाना।
वरु जामहिं सर सीस निधाना।।
उक्त चौपाई में उल्लेखित मृगमरीचिका को प्रकाशिकी के अपवर्तन सिद्धांत से समझ सकते है।
इसी प्रकार से – न्यूटन के गति के तीसरे नियम “क्रिया प्रतिक्रिया को एक चौपाई,
बार-बार रधुवीर संभारी।
तरकेउ पवन तनय बल भारी।
जेहिं गिरी चरन देह हनुमंता।
चलेउ सा गा पाताल तुरंता।।
से समझाने का प्रयास किया जाता है।
इस चौपाई को समझाने के लिए क्रिया प्रतिक्रिया एवं संवेग के सिद्धांत पर आधारित हाइड्रोक्लोरिक एवं एथेन रॉकेट के प्रयोग का सहारा किया जाता है।
ऊर्जा रूपांतरण के सिद्धांत को , एकु दारुगत देखिअ एकू,पावक सम जुग ब्रह्म बिबेकू।। चौपाई से समझ सकते हैं ।
इतना ही नही अगर हम राम के सम्पूर्ण जीवन काल को राम चरित मानस की चौपाई के माध्यम से समझने का प्रयास करें तो हम देखते है बिना किसी संसाधन के 14 वर्षो तक जंगलों में रहना एक दूसरे राज्य लंका पर अपनी वानर सेना तैयार कर के जीत हासिल करना । ये सब दिखता है कि आप किस तरह से एक कुशल प्रशासक , राजनेता, नेतृत्वकर्ता, अंतररष्ट्रीय कूटनीति के गुण राम के जीवन से सीख सकते हैं। राम का पूरा जीवन चौपाई में छिपा है और जीवन के हर एक पहलू पर कठिन परिस्थितियों से कैसे आपको सामना करना है ये रास्ता बताया गया है । बस जरूरत है इस चौपाई को आसान भाषा मे लोगो को समझाने का जो हम इस स्कूल के माध्यम से एक प्रयास कर रहे हैं।
(साभार – नवभारत टाइम्स)